रविवार की शाम काव्य रसधार में डूबे श्रोता
समस्तीपुर: कुसुम पांडेय स्मृति साहित्यिक संस्थान के बैनर तले रविवार 26 दिसम्बर 2021 को कुसुम सदन चैनमारी में काव्यगोष्ठी सम्पन्न हुआ । काव्यगोष्ठी में दूर दूर से आए कवियों ने लोगो को अपनी कविता के माध्यम से भरपूर मनोरंजन किया । काव्यगोष्ठी का संचालन प्रवीण कुमार चुन्नू ने किया, गोष्ठी के मुख्य अतिथि मैथिली के प्रसिद्ध कवि कुमार बिकल रहे और गोष्ठी की अध्यक्षता शिवेंद्र कुमार पांडेय कर रहे थे, वहीं उपस्थित कविगण थे राजकुमार राय ‘राजेश’, ओम प्रकाश ओम, अरविंद कुमार ‘सत्यदर्शी’, उदय शंकर ‘नादान’ विष्णु कुमार केडिया, जगमोहन चौधरी, सुनील चम्पारणी, अजित कुमार सिंह, पप्पू राय ‘दानिश’ रीता वर्मा, कासिम सबा एवं अन्य कविगण सभी उपस्थित कवियों ने आपने अपने काव्यपाठ से श्रोताओं का भरपूर मनोरंज किया । जगमोहन चौधरी ने अपनी कविता भारत और इंडिया के भी खाई से श्रोताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया तो वहीं, विष्णु कुमार केडिया ने अपने हास्य से श्रोताओं को खूब गुदगुदाया !
इस काव्यगोष्ठी में युवा शायर अशोक ‘अश्क’ की ग़ज़ल
“जुर्म कोई नहीं पर गुनहगार थे
हस्र पर मेरे मुंसिफ भी लाचार थे”
ने भी खूब तालियाँ बटोरी । काव्यगोष्ठी में अपनी कवितापाठ करते हुए अशोक ‘अश्क’ आप सभी पाठकगण भी अशोक ‘अश्क’ की ग़ज़ल का लुत्फ़ लें
जुर्म कोई नहीं पर गुनहगार थे
हस्र पर मेरे मुंसिफ भी लाचार थे
बेख़बर खोई थी वो चकाचौंध में
बोलियाँ लग गई सब खरीदार थे
रह सका क्यों नहीं बावफ़ा मुझसे वो
ऐ ख़ुदा जिनपे मेरे ही उपकार थे
मोल कोई चुका मैं क्यों पाया नहीं
माँ ने मुझपे लुटाए तो संसार थे
खुद मैं सजती रही हर घड़ी लुटने को
कौन खरीदार थे कौन दुकाँदार थे
नींद अच्छी आती झोपड़े में मुझे
कब हमें महलों से कोई दरकार थे
‘अश्क’ किस्मत पे अपनी तू रोना नहीं
जो गए वो न तेरे तलबगार थे