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राहें खुदा नहीं है ये बन्दगी नहीं है – शिल्पा जैन
ग़ज़ल
भर पेट रोटी सब्जी कभी तो मिली नहीं है
रहने को भी ख़ुदाया इक झोपड़ी नहीं है
मैं देश पर लिखूंगी हालात पर लिखूंगी
ख्वाबों पे कोई मैंने कविता लिखी नहीं है
अखबार दे रहा है खबरें विकास की यूं
जैसे वतन में बाकी अब भुखमरी नहीं है
सड़कों पे आ गया है भूखा किसान आखिर
लेकिन ये राजधानी फिर भी जगी नहीं है
दंगे फसाद हिंसा शहरों को फूंक देना
राहें खुदा नहीं है ये बन्दगी नहीं है
तू कब्र मत बनाना इस कोख को जमाने
माता पिता पे भारी अब लाडली नही हैं
बस इस लिए ही शायद रहती है याद सबको
खुद सी अकेली शिल्पा जो दूसरी नहीं है
शिल्पा जैन, चूलाई, चेन्नई.