एक तस्वीर खींचनी है मुझे,
अपने सोए हुए जज्बातों की ।
एक तस्वीर खींचनी है मुझे,
अपने ठहरे हुए भावों की ।।
एक तस्वीर खींचनी है मुझे,
अपने उन ख्वाबों-ख्यालों की,
अपने उन सपने मतवालों की ।
जिनमें तो तुम रहती हो,
सदा साथ मेरे,
डाल हाथों में हाथ मेरे ।।
पर जब टूटती है नींद,
बिखर जाते हैं ख्वाब,
टूट जाते हैं सपने ।
छूट जाता है हाथ,
जीवन भर का साथ ।।
खो जाती हो फिर तुम,
कहीं दूर, बहुत दूर ।
इसलिए एक तस्वीर खींचनी है मुझे,
अपने सोए हुए जज्बातों की,
अपने ठहरे हुए भावों की ।
ताकि तस्वीर में ही सही,
पर बना रहे तेरा-मेरा साथ,
लिए हाथों में हाथ ।
करते हुए बात ,
बनी रहे आस,
हमेशा-हमेशा के लिए ।।
मेघदूत प्रदीप, कोटा, राजस्थान.