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सामाजिक चेतना का हुआ ह्रास, लोगों की बदली आम अवधारणा: गुप्तेश्वर पांडे

सुभाष चन्द्र झा की रिपोर्ट

सहरसा : इस दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं। आंतरिक व्यक्तित्व एवं वाह व्यक्तित्व दोनों का मिलाजुला स्वरूप है। जैसा व्यक्तित्व होगा वैसा ही आपका विचार और सोच होगा।उसी अनुसार व्यवहार एवं अपना आचरण करता है।बाहरी व्यक्तित्व कर्मानुसार होता है।जो ईश्वर द्वारा द्वारा निर्धारित होता है। इसमें कोई परिवर्तन नहीं होता है।जबकि अंतः व्यक्तित्व में अनंत संभावनाएं होती है। अध्यात्म भौतिक जीवन को सुंदर बनाता है। उक्त बातें बिहार के पूर्व डीजीपी सह कथावाचक गुप्तेश्वर पांडे द्वारा गुरुवार को आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान कहीं।उन्होंने कहा कि अध्यात्म में आस्था रखने वाले एक निश्चित स्तर तक गिर सकते हैं लेकिन जो व्यक्ति अध्यात्म से अलग है। उसके गिरने की कोई सीमा नहीं होती है। उन्होंने कहा कि पैसा जीवन के लिए महत्वपूर्ण है।

पैसा से ही सब काम होता है। जिसके लिए श्रम उद्योग एवं व्यवसाय के माध्यम से पैसे का उपार्जन किया जाता है। वहीं कुछ लोगों द्वारा पैसा ही सब कुछ है। जिसके लिए लोग ऐन केन प्रकारेण पैसा उगाही करता है।उन्होंने कहा कि जीवन चलाने के लिए पैसा आवश्यक है किंतु आध्यात्मिक जीवन को संतुलित करता है। यदपि हमें विश्वास है इस जीवन के बाद भी अध्यात्मिक जीवन है। मन में अध्यात्म रहने पर पाप पुण्य स्वर्ग नरक की समझ होने के कारण मनुष्य अंदर से अनुशासित रहता है।जो प्रशासनिक या नियम कानून से अनुशासन संभव नहीं है। संसार में रहकर जो व्यक्ति अध्यात्मिक है। उसी अनुसार वह व्यवहार एवं अपना आचरण करता है। दुष्ट लोग हर जगह विद्यमान हैं।जो दूसरों की आलोचना एवं निंदा करता है।

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दूसरी तरफ कुछ साधु व्यक्तित्व भी हैं। वो संसारी मोह माया से परे अपना आध्यात्मिक जीवन जीता है। अध्यात्मिक मनुष्य जान पाता है कि वह कौन है। कहां से आया है। कहां जाना है। क्या करना है। इत्यादि बातों की समझ होती है। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि डीजीपी पद से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने सर्वप्रथम अयोध्या मे साधु संतों के सानिध्य में अपना पहला प्रवचन प्रारंभ किया। वहीं दूसरी बार वृंदावन में देश की नामी संत महात्मा एवं प्रवचन कर्ता के समक्ष अपना प्रवचन दिया। जहां सभी संत मुनि महात्माओं एवं प्रवचन कर्ताओं ने सराहना करते हुए मुझे आशीर्वाद दिया और मुझे व्यास गद्दी पर बैठ कर प्रवचन देने हेतु उपयुक्त समझा गया। उन्होंने कहा कि अब तक लगभग 12 जगहो पर अपना प्रवचन दे चुके हैं।

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इसी क्रम में सहरसा में भी कथा का आयोजन किया गया जिसमें मुझे व्यास के रूप में प्रवचन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि यहां के लोग बहुत अच्छे हैं। हजारों की संख्या में लोग मर्यादा पूर्वक प्रवचन को ध्यान से सुनते हैं। जिसमें हजारों माताएं बहने भी शामिल हो रहे हैं।यह सील की भूमि है।संस्कार की भूमि है।मिथिला के संस्कार को हम प्रणाम करते हैं। इसीलिए कि मिथिला मेरा ननिहाल है। क्योंकि मैं सीता को माता मानता हूं। उन्होंने कहा कि जब तक शरीर स्वस्थ रहेगा तब तक चित्त की शुद्धि के लिए भगवत भजन एवं प्रवचन करता रहूंगा। वहीं एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि कि मैं अपने जीवन में कभी भी राजनीति में नहीं जाऊंगा। इस अवसर पर नन्हे सिंह, अमर ज्योति, विक्की कुमार एवं मुकेश सिंह मौजूद थे।

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