सरल स्वभाव उम्दा कलाकार राम बहादुर “रेणु”
राम बहादुर रेणु एक प्रमुख मैथिली-हिंदी सिनेमा के अभिनेता हैं, उनका काम थिएटर से लेकर मैथिलि सिनेमा-हिंदी सिनेमा तक व्यापक है और उन्हें इस क्षेत्र में बड़ा सम्मान है।
- Shaan-e-bihar
Shaan-e-bihar: मिलिए शान-ए-बिहार (Shaan-e-bihar) राम बहादुर रेणु (Ram Bahadur Renu) से एक ऐसे अभिनेता हैं जिनकी ज़िंदगी और काम के पीछे उम्मीद और सहयोग का महत्व बड़ा है। उन्हें डर नहीं होता कि भविष्य में क्या होगा, बल्कि वे समय के साथ चलने और धारा के विपरीत तैरने का साहस रखते हैं। उनका योगदान थिएटर और सिनेमा दोनों में महत्वपूर्ण है। उनका अभिनय और कला का आदान-प्रदान उन्हें अद्वितीय बनाता है। वे न केवल अपने जीवन को सजाकर रखना चाहते हैं, बल्कि दूसरों के जीवन में भी प्रेरणा और समृद्धि लाने का संकल्प रखते हैं। राम बहादुर रेणु की प्रसिद्ध फ़िल्में में उनका अभिनय जो दर्शकों के दिलों में स्थायी प्रभाव छोड़ जाती हैं। उनके योगदान ने मैथिलि सिनेमा को एक नया आयाम दिया है और उन्हें अद्वितीय माना जाता है थिएटर और सिनेमा के क्षेत्र में।
हमारे व्हाट्सएप चैनल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
राम बहादुर रेणू एक प्रमुख मैथिली-हिंदी अभिनेता हैं, जिन्होंने हिंदी सिनेमा में पिछले लगभग 20 वर्षों से सक्रिय रूप से अपना अभिनय किया है। उन्होंने फिल्मों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिकाओं से लोगों का मन-मोह लिया है। ‘अरमान’ (2003), ‘हजारों ख्वाहिशें ऐसी’ (2003), ‘हैलो हम लल्लन बोल रहे हैं’ (2010) जैसी फ़िल्मों में उनका काम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उनका अभिनय और प्रदर्शन उन्हें लोकप्रियता और सम्मान के हकदार बनाते हैं। ‘मैथिली फिल्म जैक्सन हॉल्ट’ जैसी भाषाई फ़िल्मों में भी उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन किया है।
राम बहादुर रेणू ने अपने अद्वितीय अभिनय से कम समय में फिल्म उद्योग की अग्रिम पंक्ति में अपना स्थान बनाया है। सुधीर मिश्रा और हनी ईरानी जैसे प्रमुख निर्देशकों के साथ काम करने के साथ-साथ, उन्होंने टेलीविज़न धारावाहिकों में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राम बहादुर रेणू ने ‘इमेजिन टीवी’ पर प्रसारित होने वाले ‘द्वारकाधीश – भगवान श्री कृष्ण’ में ‘सुदामा’ के रूप में अपने अभिनय कला का प्रदर्शन किया, जो भगवान के बचपन के साथी और मित्र हैं। उन्हें ‘चरस’ (2004), ‘हासिल’ (2003), और ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस: द फॉरगॉटन हीरो’ (2004) जैसी फिल्मों में भी देखा गया है, जहाँ उन्होंने छोटी लेकिन महत्वपूर्ण भूमिकाओं में अपना अभिनय प्रस्तुत किया।
थिएटर और सिनेमा ही मेरी जिंदगी है
राम बहादुर रेणु गाम घर न्यूज़ से बातचीत के दौरान बताया कि ‘’संतोष तो थिएटर में ही मिलता है।‘’ ‘बिदेसिया’, ‘तलघर’, ‘ग्रासरूट’, ‘रुक्मिणी हरण’, ‘विक्रमोर्वशीयम्’, ‘औरंगजेब’, और ‘दीना’ जैसे अनेक नाटकों में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। एक संगीत भव्य नाटक ‘मुगल-ए- आजम’ (mughal e Azam) में भी मान सिंह का किरदार निभाते हैं, जो फिरोज खान के निर्देशन में कई साल से चल रहा हैं। यह नाटक ‘मुगल-ए- आजम’ का मंचीय रूपांतरण है जो देश के साथ विदेश में भी होता है। नसीरुद्दीन शाह, देवराज अंकुर, जॉन रशेल, रामगोपाल बजाज, रॉबिनदास से मिले ज्ञान को वह भूले नहीं है। रेणु ने नाटकों का निर्देशन भी किया है, जिससे उन्होंने कला के इस पहलू को भी अपनाया है।
राम बहादुर रेणू ने मैथिली फिल्म “जैक्सन हॉल्ट” में अपना अद्वितीय किरदार निभाया है, जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया है। यह फिल्म एक सस्पेंस थ्रिलर है जो केवल तीन किरदारों के चारों ओर घूमती है। रेणू ने इस फिल्म में स्टेशन मास्टर का किरदार निभाया है, जो अपनी मोहक और रहस्यमयी मुस्कान से लोगों को आकर्षित करते हैं। उनका अभिनय फिल्म को और भी रोचक बनाता है और दर्शकों को उनकी कला में खिंच लेता है। रेणू की महान कला और प्रतिभा ने इस फिल्म से दर्शकों के दिलों में उनका स्थान बनाया है।
थिएटर से सिनेमा तक अभिनेता राम बहादुर रेणु
राम बहादुर रेणू की आशा है कि वे अभिनेताओं की प्रतिभाशाली लीग में एक प्रमुख उपस्थिति प्राप्त करें। उन्होंने लगातार कुछ योग्य भूमिकाएं प्राप्त की हैं, जिससे उनकी क्षमता और उत्कृष्ट प्रतिभा का प्रमाण मिलता है। उनका अभिनयी प्रदर्शन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्व छात्र के रूप में उन्हें अपने प्रतिष्ठित अल्मा मेटर के लिए सम्मानित किया गया है। उनकी मैथिली पृष्ठभूमि ने उन्हें अपने स्थानीय मनोरंजन उद्योग में भी उच्चतम स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाने के लिए प्रेरित किया है। उनका यह प्रयास न केवल उन्हें आत्म-संतुष्टि देता है, बल्कि उनकी संपूर्ण जानकारी, कला और साहस उन्हें अभिनेता के रूप में उन्नति करने में मदद करता हैं।
आरंभिक जीवन
राम बहादुर रेणू का जन्म 16 दिसम्बर 1972 को बिहार के सुपौल जिले के कोशली पट्टी में हुआ था। राम बहादुर रेणु के पिता स्वर्गीय श्री मुनेश्वर यादव भगैत के प्रसिद्ध गायक थे, बड़े भाई लाल बहादुर यादव ग्रामीण रंगमंच के प्रणेता, नाटकार हैं। राम बहादुर रेणू की प्रारंभिक शिक्षा गाँव कोशली पट्टी के स्कूल में हुई, उन्होंने अपनी शैक्षणिक योग्यता में नाट्यशास्त्र से एम.ए की डिग्री हासिल की। उनके बचपन से ही थिएटर में सक्रिय रहने की शुरुआत की थी। गांव में बीते बचपन ने उन्हें नाटकों के प्रति गहरा रुचि दिलाई। रंगकर्म पिता और भाई की प्रेरणा रेणु को मिला श्री कृष्ण नाट्य कला परिषद्, कोशली पट्टी के मंच से बचपन से नाता है। रेणु का ये मेरा पहला और सबसे प्रिय रंगमंच है।1996 में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार से प्राप्त अनुदान से मधेपुरा (बिहार) में मिथिलांचल की अद्भुत ग्राम्य गायन शैली भगैत पर शोध कार्य, नाट्य कार्यशाला, विचार गोष्ठी आयोजित की गई। भगैत पर ये पहला रंगमंचीय कार्य था जो रेणु द्वारा किया गया था। उन्होंने व्याख्याता की नौकरी की अपेक्षा एनएसडी का छात्र बनने का फैसला किया। उनका जुनून थिएटर में जिंदगी को अपनाने का रहा। उनका आकर्षण थिएटर की ओर था, और इसी के लिए उन्होंने अपने जीवन को समर्पित किया।
2000 ईसवी में एनएसडी से पास आउट होने के बाद, 2000 ईसवी में ही कथक नृत्यांगना महुआ सेनगुप्ता से शादी हुई, जो आब उनकी पत्नी कथक गुरु हैं। 2001 ईसवी में मुंबई जाने के बाद, वे अपने काम से पूरी तरह संतुष्ट हैं कि उन्होंने अपने मन की पुकार पर ध्यान दिया और अपने स्वप्नों को पूरा किया। उनका काम और प्रतिभा उन्हें उच्चतम स्तर पर पहुंचने में मदद करता है, और उन्हें अपने अभियान में और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। बिहार मिथिला के बेटा राम बहादुर रेणू को गाम घर न्यूज़ (Gaam Ghar News) की तरफ से ढ़ेरो शुभकामनायें।