Patna : पटना हाईकोर्ट ”High Court” ने बीपीएससी बिहार शिक्षक भर्ती परीक्षा ”BPSC Exam” TRE 3 पर अभी तक रोक लगा दी है। इस परीक्षा में बीपीएससी ”BPSC” ने कुल 87,722 पदों पर बहाली की थी। मार्च में पहली बार प्रश्न पत्र लीक होने के बाद परीक्षा रद्द हुई थी। अब पुनः परीक्षा के पहले ही पटना हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दिया है।
पटना हाईकोर्ट ने प्लस 2 स्कूल के गेस्ट टीचर्स के वेटेज विवाद पर भी स्थिरता का निर्णय दिया है। न्यायालय ने प्रति वर्ष के आधार पर 5 अंकों और 5 वर्षों के आधार पर अधिकतम 25 अंकों का वेटेज देने का आदेश जारी किया है। इस निर्देश के अनुसार, पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग के शिक्षकों को वेटेज प्राप्त होगा। बीपीएससी की शिक्षक बहाली में इन्हें प्रति वर्ष के आधार पर 5 अंकों का वेटेज मिल रहा है। यह निर्णय गेस्ट टीचर्स के मामले में न्यायिक स्थिरता और समानता के मानकों को बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
पटना हाईकोर्ट ने गेस्ट टीचरों के वेटेज के मामले में महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। कोर्ट ने यह मान्यता दी कि दोनों शिक्षक शिक्षा क्षेत्र में काम कर रहे हैं और उन्हें एक समान दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए। इस परिणाम स्वरूप, शिक्षा विभाग के गेस्ट टीचरों को भी वेटेज मिलने का आदेश जारी किया गया है। इस निर्णय से गेस्ट टीचरों को समानता का लाभ मिलेगा।
इसके अलावा, TRE-3 परीक्षा के संबंध में बताया गया है कि कुल लगभग 5 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन पत्र जमा किए हैं। बीपीएससी ने 10 जून से परीक्षा आयोजित करने की योजना बनाई थी।
इस चरण में, TRE-3 परीक्षा की भर्ती में होने वाले उत्पन्न संख्यात्मक विवादों के बावजूद, बीपीएससी का यह निर्णय सोच-समझकर लिया जा रहा है। यह सुनिश्चित करने के लिए है कि चयन प्रक्रिया में कोई अनुचितता न हो। इस निर्णय के माध्यम से, उम्मीदवारों को न्यायिक स्थिरता और समानता की सुनिश्चितता मिलेगी।
“शिक्षक भर्ती TRE 3 के पेपर हुए थे लीक”
बीपीएससी की ओर से तीसरे चरण की शिक्षक नियुक्ति के लिए 15 मार्च को दोनों पालियों में परीक्षा आयोजित की गई थी। यह परीक्षा दोषित हो गई थी जब पेपर लीक हो गया। एक मैरिज हॉल में, हजारीबाग के एक होटल में, 270 से अधिक अभ्यर्थियों को प्रश्न पत्र के उत्तर रटवाए जा रहे थे। इस अनैतिक गतिविधि को बेनकाब करते हुए, प्राप्त प्रश्न पत्र को वहीं मौजूद प्रश्न पत्रों के साथ मिलान किया गया। यह घटना न केवल उम्मीदवारों के विश्वास को हिला दिया, बल्कि उनकी योग्यता पर भी सवाल उठाया। इस तरह के अनैतिक कार्यों के खिलाफ कड़े कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि प्रशासनिक प्रक्रिया में निष्पक्षता और न्याय की सुनिश्चितता सुनिश्चित हो सके।