ग़ज़ल

Ghazal; अपना दुख

अपना दुख ही पहचाना सा लगता है
बाकी सब तो, अनजाना सा लगता है

सच्चाई जीवन की, चाहे कुछ भी हो
हम को तो सब, अफसाना सा लगता है

शिकवा, शिकायत क्या करते हम दुनिया से
अपना भी, अब बेगाना सा लगता है

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शम्मा सी लगती है, हम को ये दुनिया
और इन्साँ भी, परवाना सा लगता है

‘शबनम’ वो क्या रूठा, अब कि सावन में
सारा गुलशन, वीराना सा लगता है

-इंदिरा “शबनम” (पूनावाला)

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Ashok Ashq

Ashok ‘’Ashq’’, Working with Gaam Ghar News as a Co-Editor. Ashok is an all rounder, he can write articles on any beat whether it is entertainment, business, politics and sports, he can deal with it.

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