पटना: बिहार की नदियों और जलाशयों में अब सीएनजी (कंप्रेस्ड नेचुरल गैस) और सोलर ऊर्जा से नावों का संचालन किया जाएगा। इसके लिए हरित नौका योजना के तहत पारंपरिक डीजल इंजन वाली नौकाओं को पर्यावरण-अनुकूल हरित इंजनों में तब्दील किया जाएगा। इस कदम का उद्देश्य नदियों को पेट्रो कैमिकल्स से होने वाले प्रदूषण से बचाना है। भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) ने बिहार सरकार को इस योजना के क्रियान्वयन के लिए मंत्रालय के निर्देशों का पालन करने की याद दिलाई है।
सागरमाला परियोजना के अंतर्गत मौजूदा नौकाओं को सीएनजी और सोलर ऊर्जा से संचालित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। पतन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय (एमओपीएसएंडडब्ल्यू) ने राज्य सरकार से कहा है कि डीजल इंजन पर चलने वाली सभी नौकाओं को सीएनजी या सोलर में परिवर्तित किया जाए। डीजल इंजन से निकलने वाले धुएं और पेट्रो कैमिकल्स के उपयोग से नदी के जल का प्रदूषण और जलीय जीवों पर खतरा बढ़ रहा है। ऐसे में हरित नौका योजना का उद्देश्य जल की शुद्धता बनाए रखना और प्रदूषण को कम करना है।
बिहार सरकार के मुख्य सचिव ने परिवहन विभाग को इस योजना के सफल क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी है। सभी जिलों के डीएम को निर्देश दिया गया है कि वे अपने जिले में डीजल इंजन से चलने वाली नौकाओं का डेटा आईडब्ल्यूएआई को उपलब्ध कराएं। इस योजना के अंतर्गत, वर्ष 2030 तक जलमार्ग आधारित यात्री परिवहन की कार्बन तीव्रता को 30 प्रतिशत और 2047 तक 70 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य है।
हरित नौका योजना से नदियों में वायु और जल प्रदूषण में कमी आएगी और जलीय जीवों के जीवन को बेहतर बनाया जा सकेगा। इस बदलाव से बिहार की जलमार्ग परिवहन प्रणाली अधिक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल बन सकेगी।