सहरसा: सहरसा जिले के बनमा ईटहरी प्रखंड स्थित मध्य विद्यालय महारस में दो शिक्षकों के बीच हुई मारपीट की घटना से शिक्षा जगत में सनसनी फैल गई है। 25 अक्टूबर को इस घटना के बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) अनिल कुमार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए बीपीएससी शिक्षक विकास कुमार भगत को निलंबित कर दिया, और नियोजित शिक्षक उदय मेहता पर भी आगे की कार्रवाई के निर्देश जारी किए हैं।
घटना
घटना के दिन, स्कूल में पढ़ाने के दौरान विकास कुमार भगत अपने मोबाइल पर कथित तौर पर एक आपत्तिजनक वीडियो देख रहे थे। नियोजित शिक्षक उदय मेहता ने जब यह देखा तो उन्होंने इसका विरोध किया। मेहता का मानना था कि इस तरह की गतिविधियाँ न केवल शिक्षक के पद की गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं बल्कि बच्चों के सामने अनुचित उदाहरण भी प्रस्तुत करती हैं। जैसे ही मेहता ने भगत को टोकने की कोशिश की, दोनों में कहासुनी बढ़ गई। बात इतनी बढ़ गई कि यह झगड़ा मारपीट में बदल गया और मेहता को सिर में चोट आई। स्थिति बिगड़ने के बाद प्रधानाध्यापक द्वारा मेहता को तत्काल अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उनका प्राथमिक उपचार किया गया।
जिला शिक्षा पदाधिकारी की कार्रवाई
घटना की जानकारी मिलते ही जिला शिक्षा पदाधिकारी अनिल कुमार ने मामले को गंभीरता से लिया। डीईओ ने बताया कि विद्यालय में शिक्षकों के बीच मारपीट होना न केवल अनुशासनहीनता है, बल्कि सरकारी नियमों का उल्लंघन भी है। उन्होंने कहा कि बिहार सरकारी सेवक नियमावली 1976 के तहत शिक्षकों का यह व्यवहार कतई स्वीकार्य नहीं है। इस कदाचार के कारण उन्होंने विकास कुमार भगत को निलंबित कर दिया है, जबकि उदय मेहता पर भी नियोजन इकाई को जांच कर उचित कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
डीईओ अनिल कुमार ने यह भी स्पष्ट किया कि विकास कुमार को “बिहार राज्य अध्यापक (नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्यवाही एवं सेवाशर्त) संशोधन नियमावली 2024” के तहत निलंबित किया गया है। निलंबन का पत्र निर्गत होने के साथ ही उन्हें तत्काल प्रभाव से स्कूल में आने पर रोक लगा दी गई है।
कानूनी मामला
घटना के बाद, उदय मेहता ने थाने में भी शिकायत दर्ज कराई है। अपनी शिकायत में मेहता ने विकास कुमार भगत पर न केवल मारपीट का आरोप लगाया है, बल्कि यह भी दावा किया है कि भगत ने उनके साथ झड़प के दौरान उनके पैसे भी छीन लिए। मेहता का कहना है कि उन्होंने पुलिस में शिकायत की थी, परंतु अभी तक पुलिस की ओर से इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
इससे स्थानीय लोगों में भी आक्रोश फैल गया है, और वे स्कूल के माहौल को बेहतर बनाए रखने के लिए जल्द से जल्द न्यायिक कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। मेहता ने पुलिस से अपेक्षा की है कि वह उनकी शिकायत को गंभीरता से लेकर आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
शिक्षण क्षेत्र की गरिमा पर सवाल
यह घटना न केवल संबंधित शिक्षकों पर प्रश्नचिह्न लगाती है, बल्कि शिक्षण क्षेत्र की गरिमा और आदर्शों पर भी सवाल उठाती है। स्कूलों को बच्चों की शिक्षा और नैतिक विकास का स्थान माना जाता है, जहाँ शिक्षकों का अनुशासन और आचरण विद्यार्थियों के लिए उदाहरण होना चाहिए। एक शिक्षक का इस प्रकार का आचरण बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। ऐसे में इस घटना ने शिक्षा विभाग और स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारियों को भी सामने रखा है कि वे शिक्षकों की गतिविधियों पर ध्यान दें और आवश्यकता अनुसार अनुशासन बनाए रखें।
भविष्य में ऐसी घटनाओं से निपटने की तैयारी
घटना के बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी ने सभी स्कूलों के शिक्षकों के लिए सख्त आचार संहिता का पालन करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षक का पद समाज में अत्यधिक आदरणीय होता है, और इसकी गरिमा को बनाए रखना हर शिक्षक की नैतिक जिम्मेदारी है। बिहार शिक्षा विभाग की ओर से सभी शिक्षकों को यह निर्देश दिए गए हैं कि वे बच्चों के सामने किसी भी अनुचित गतिविधि से बचें और विद्यालय में अनुशासन बनाए रखें।
यह घटना एक गंभीर चेतावनी के रूप में देखी जा रही है कि विद्यालयों में अनुशासन और शिक्षकों के आचरण के प्रति सतर्कता बढ़ाने की आवश्यकता है। जिला शिक्षा पदाधिकारी ने इस घटना में सख्त कदम उठाकर यह संदेश दिया है कि शिक्षा विभाग ऐसे किसी भी अनुशासनहीन व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करेगा। उम्मीद है कि इस कार्रवाई से अन्य शिक्षकों को भी यह सीख मिलेगी कि उन्हें बच्चों के सामने एक आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए और किसी भी तरह के अनुचित आचरण से बचना चाहिए।