Patna : प्रख्यात समकालीन कलाकार सुबोध गुप्ता की कलाकृतियों की प्रदर्शनी का शुभारंभ बिहार संग्रहालय, पटना में किया गया। इस कला प्रदर्शनी को बिहार संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह ने क्यूरेट किया है। प्रदर्शनी का शीर्षक “जैसा घर” रखा गया है और यह आम जनजीवन के विभिन्न आयामों का कलात्मक प्रस्तुतिकरण करती है। यह प्रदर्शनी 15 फरवरी 2025 तक आम जनता के लिए खुली रहेगी।
उद्घाटन कार्यक्रम का आयोजन दो सत्रों में हुआ। अस्थायी दीर्घा में पद्मश्री से सम्मानित मिथिला कलाकार दुलारी देवी ने मुख्य अतिथि के रूप में प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। वहीं, बहुउद्देशीय दीर्घा में पद्मश्री बौआ देवी ने प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस मौके पर उपस्थित अपर निदेशक अशोक कुमार सिन्हा ने सुबोध गुप्ता के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उनकी कला से बिहार को एक विशिष्ट पहचान मिली है। कार्यक्रम में बिहार संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह ने सुबोध गुप्ता की कला शैली और उनकी विशिष्टता पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि सुबोध गुप्ता की कला में भारतीय संस्कृति, सामुदायिकता और प्रवासी जीवन के दर्द को प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया गया है।
सुबोध गुप्ता का जन्म बिहार के खगौल में हुआ था और उन्होंने पटना आर्ट एंड क्राफ्ट कॉलेज से फाइन आर्ट्स में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। अपने कला जीवन की शुरुआत में उन्होंने चित्रकला के क्षेत्र में कदम रखा, फिर मूर्तिशिल्प में विशिष्टता हासिल की। उनकी कलाकृतियों में स्टील के बर्तनों का उपयोग उनकी विशिष्टता और पहचान है। इस प्रदर्शनी में उनके पिछले 29 वर्षों की उत्कृष्ट कलाकृतियों का संग्रह प्रदर्शित किया गया है।
इस अवसर पर सुबोध गुप्ता ने अपनी कला को बिहार के लोगों के सामने प्रस्तुत करने के लिए बिहार संग्रहालय का आभार व्यक्त किया। उन्होंने संग्रहालय की भव्यता और संरचना की सराहना की और इसे कला का उत्कृष्ट नमूना बताया। उन्होंने कहा कि यह उनके लिए गर्व का विषय है कि वे अपनी कलाकृतियों को उस स्थान पर प्रदर्शित कर पा रहे हैं, जहाँ उनका जन्म हुआ। इसके अतिरिक्त, फिल्मकार हर्षित द्वारा निर्देशित एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म की भी स्क्रीनिंग की गई, जिसमें गुप्ता की कला यात्रा के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया गया।
इस कार्यक्रम में सुबोध गुप्ता की पत्नी और सुप्रसिद्ध कलाकार भारती खेर, टीवी प्रस्तोता देबांग, फिल्मकार हर्षित और जे. स्वामीनाथन के पुत्र कालिदास भी मौजूद थे। प्रदर्शनी के दौरान दर्शकों ने कलाकारों से उनकी कला और प्रेरणाओं के बारे में चर्चा की। यह प्रदर्शनी छुट्टी के दिनों को छोड़कर प्रतिदिन आम लोगों के लिए खुली रहेगी।