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प्रेगनेंसी स्कैम: महिलाओं की मां बनने की चाह का फायदा उठाता घोटाला

नाइजीरिया में प्रेगनेंसी स्कैम का सच, महिलाओं की ममता और बच्चों की तस्करी का खुलासा।

फोटो सभार BBC – नाइजीरिया में बच्चे न पैदा कर पाने की वजह से लोग स्कैम का शिकार बन रहे हैं. 

Nigeria : चिओमा को पूरा भरोसा है कि होप, जो उनके गोद में है, उनका अपना बेटा है। चिओमा आठ साल से प्रेग्नेंट होने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल रही थी। जब होप उनकी ज़िंदगी में आया, तो वह उसे अपनी मेहनत और संघर्ष का चमत्कार मानने लगीं। हालांकि, चिओमा के परिवार और अधिकारियों को शक है कि होप उनके जैविक बच्चे नहीं हैं। चिओमा ने इस बच्चे को एक प्रेगनेंसी स्कैम का हिस्सा समझा, जिसमें महिलाओं को धोखे से गर्भवती होने का भरोसा दिया जाता है, और फिर नवजात बच्चों की तस्करी की जाती है।

मां बनने की चाह और धोखाधड़ी का चक्रव्यूह
चिओमा को पूरा भरोसा है कि होप, जिसे उन्होंने अपनी गोद में लिया है, उनका अपना बेटा है। यह बच्चा उनके लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है। 8 साल तक मां बनने की कोशिश में असफल रहीं चिओमा ने जब इस बच्चे को पाया, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

लेकिन, यह कहानी इतनी सरल नहीं है। नाइजीरिया के अनाम्ब्रा राज्य में महिलाओं से जुड़े मामलों की कमिश्नर इफी ओबिनाबो ने चिओमा और उनके पति आईके से घंटों बातचीत की। जांच में सामने आया कि होप का जन्म कथित तौर पर एक ऐसे क्लिनिक में हुआ, जो महिलाओं को गर्भवती कराने के नाम पर धोखा देता है।

चिओमा ने दावा किया कि उन्होंने बच्चे को 15 महीने तक अपनी कोख में रखा, लेकिन आईके के परिवार और कमिश्नर को इस पर शक था। चिओमा बताती हैं कि समाज के दबाव में उन्होंने एक नकली क्लिनिक का सहारा लिया, जहां उन्हें मां बनने की झूठी उम्मीद दी गई।

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गर्भवती महिलाओं को कैसे निशाना बनाते हैं स्कैमर्स?
नाइजीरिया जैसे देश में, जहां महिलाओं पर बच्चे पैदा करने का सामाजिक दबाव रहता है, बांझपन का सामना कर रही महिलाएं अक्सर मानसिक और भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाती हैं। इस स्थिति का फायदा उठाते हैं नकली प्रेगनेंसी क्लीनिक चलाने वाले स्कैमर्स।

डॉक्टर या नर्स बनकर फैलाते हैं झूठ
इन क्लीनिकों में डॉक्टर और नर्स जैसे पेशेवर दिखने वाले लोग महिलाओं को गर्भवती होने के चमत्कारी इलाज का भरोसा देते हैं। इनका इलाज महंगा होता है, जिसमें महिलाओं को विशेष इंजेक्शन, ड्रग्स, या पेय पदार्थ दिए जाते हैं। कई बार इन दवाओं से महिलाओं का पेट फूलने लगता है, जिससे उन्हें लगता है कि वे सच में प्रेग्नेंट हैं।

इन स्कैमर्स का दावा होता है कि उनके इलाज से होने वाली प्रेगनेंसी अल्ट्रासाउंड या अन्य मेडिकल जांच में नहीं दिखेगी। महिलाओं को असली डॉक्टरों के पास जाने से मना किया जाता है।

महंगी दवाओं का झांसा
जब “डिलीवरी” का समय आता है, तो स्कैमर्स महिलाओं से एक महंगी दवा खरीदने के लिए कहते हैं। इस दवा की कीमत लगभग 180-200 डॉलर होती है। अगर महिला इस दवा को खरीदने से मना करती है, तो उसे प्रेगनेंसी लंबे समय तक चलने और जटिलताओं का डर दिखाया जाता है।

नवजातों की तस्करी और बेहोशी के खेल
डिलीवरी के नाम पर महिलाओं को बेहोश कर दिया जाता है। जब वे होश में आती हैं, तो उन्हें बताया जाता है कि उन्होंने बच्चे को जन्म दिया। कई बार महिलाओं को पीठ पर निशान दिखाया जाता है, ताकि वे विश्वास कर लें कि उनकी सर्जरी हुई है।

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डॉ. रूथ का नकली क्लिनिक और बीबीसी की जांच
बीबीसी अफ्रीका आई टीम ने इस घोटाले की एक साल तक जांच की। टीम ने अंडरकवर दंपत्ति बनकर एक ऐसे क्लिनिक में प्रवेश किया, जिसे ‘डॉ. रूथ’ नाम की महिला चलाती हैं।

नकली अल्ट्रासाउंड और गर्भवती होने की झूठी बधाई
डॉ. रूथ महिलाओं को स्कैनर जैसी एक मशीन से स्कैन करती हैं और गर्भवती होने की झूठी बधाई देती हैं। बीबीसी की रिपोर्टर को भी उन्होंने यही बताया और गर्भवती होने का दावा किया।

झूठ और अंधविश्वास फैलाने वाले ऑनलाइन ग्रुप
इन घोटालों को बढ़ावा देने में सोशल मीडिया का भी बड़ा योगदान है। फेसबुक पर ऐसे कई ग्रुप हैं, जहां “क्रिप्टिक प्रेगनेंसी” के नाम पर गलत जानकारियां फैलाई जाती हैं। ये ग्रुप महिलाओं को नकली डॉक्टरों और क्लिनिकों से जोड़ते हैं।

बच्चों की तस्करी और मजबूर महिलाओं का शोषण
इस घोटाले का सबसे भयावह पक्ष बच्चों की तस्करी है। स्कैमर्स अक्सर उन युवा गर्भवती महिलाओं को निशाना बनाते हैं, जो समाज में अकेली या मजबूर होती हैं।

गर्भवती महिलाओं को जबरदस्ती रखना
जांच में यह भी सामने आया कि इन नकली क्लिनिकों में कई गर्भवती महिलाओं को जबरदस्ती रखा जाता है। इन महिलाओं को यह नहीं बताया जाता कि उनके बच्चे दूसरी महिलाओं को दिए जाएंगे।

बच्चों की खरीद-फरोख्त
कुछ मजबूर महिलाएं खुद अपने बच्चों को बेचने के लिए तैयार हो जाती हैं। बीबीसी की जांच में उजु नाम की एक महिला ने बताया कि उसने अपने बच्चे को 470 डॉलर में बेचने का सौदा किया।

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समाज और कानून की भूमिका
नाइजीरिया जैसे देश में महिलाओं पर बच्चे पैदा करने का सामाजिक दबाव इन घोटालों को पनपने का मौका देता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब तक समाज महिलाओं, बांझपन, और गोद लेने के प्रति अपना नजरिया नहीं बदलेगा, तब तक ऐसे घोटाले चलते रहेंगे।

कमिश्नर ओबिनाबो का प्रयास
कमिश्नर इफी ओबिनाबो इस घोटाले को रोकने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं। उन्होंने चिओमा से बातचीत के बाद बच्चे को उनके पास रहने देने का फैसला किया। हालांकि, यह फैसला अस्थायी है, क्योंकि अगर बच्चे के असली माता-पिता सामने आते हैं, तो उन्हें बच्चा सौंप दिया जाएगा।

सबक और सुधार की दिशा
इस घोटाले से यह साफ है कि महिलाओं की भावनात्मक कमजोरी का फायदा उठाने वाले लोग हर जगह मौजूद हैं। जरूरी है कि:

  1. सोशल मीडिया पर गलत जानकारी पर रोक लगे।
  2. महिलाओं को सही मेडिकल जानकारी दी जाए।
  3. बांझपन और गोद लेने को लेकर समाज में जागरूकता फैलाई जाए।
  4. कानूनी और सामाजिक सुरक्षा तंत्र मजबूत किया जाए।

जब तक महिलाओं को उनके अधिकार और सम्मान नहीं मिलते, ऐसे घोटाले चलने की संभावना बनी रहेगी। यह केवल नाइजीरिया की समस्या नहीं है, बल्कि महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा की एक वैश्विक चुनौती है।

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Via
BBC News हिंदी
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