मधुबनी : जिलाधिकारी अरविंद कुमार वर्मा ने रहिका प्रखंड के ककरौल उत्तरी पंचायत में अगहनी धान फसल कटनी प्रयोग का निरीक्षण किया। यह प्रयोग कृषि वर्ष 2024-25 के अंतर्गत भूमि मालिक श्यामा देवी के खेत में संपन्न हुआ। इस अवसर पर जिलाधिकारी ने कृषि उत्पाद की वृद्धि और इसके महत्व पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि बढ़ती जनसंख्या को भोजन उपलब्ध कराने, कृषि आधारित औद्योगिकीकरण को मजबूती देने और आर्थिक व्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए कृषि उत्पाद का बढ़ावा अत्यंत आवश्यक है। फसलों की उत्पादकता का आकलन प्रतिवर्ष किया जाना चाहिए ताकि उत्पादन में वृद्धि या कमी के कारणों का पता लगाया जा सके।
फसल सहायता योजना के अंतर्गत मुख्य फसल जैसे धान, गेहूं और मक्का का आकलन हर पंचायत में अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय द्वारा किया जाता है। इस क्रम में ककरौल उत्तरी पंचायत के एक खेत में 10 मीटर x 5 मीटर क्षेत्र में धान की फसल कटनी का निरीक्षण किया गया। इस प्रक्रिया में कुल 16.520 किलोग्राम धान प्राप्त हुआ, जो प्रति हेक्टेयर 33.040 क्विंटल उत्पादन के बराबर है।
जिलाधिकारी ने इस प्रयोग के महत्व को समझाते हुए कहा कि फसल उत्पादकता के आंकड़े न केवल बेहतर कृषि नीतियां बनाने में सहायक होते हैं, बल्कि किसान कल्याण योजनाओं को लागू करने में भी सहायक सिद्ध होते हैं।
इस अवसर पर जिला सांख्यिकी पदाधिकारी राकेश कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी ललन कुमार चौधरी, अंचल पदाधिकारी अभय कुमार, राजस्व अधिकारी अर्चना कुमारी, सहायक सांख्यिकी पदाधिकारी राज मंगल शर्मा, कृषि समन्वयक सुरेंद्र चौधरी, किसान सलाहकार अरुण कुमार यादव और अन्य संबंधित अधिकारी एवं ग्रामीण उपस्थित थे।
जिलाधिकारी ने फसल कटनी प्रयोग की प्रक्रिया और उसकी निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों की सराहना की। साथ ही, उन्होंने किसानों को उत्पादकता बढ़ाने के लिए आधुनिक कृषि तकनीकों और योजनाओं का लाभ उठाने का सुझाव दिया।
यह कार्यक्रम न केवल कृषि के प्रति जागरूकता बढ़ाने का माध्यम बना, बल्कि जिला प्रशासन की ओर से किसानों को प्रोत्साहित करने का एक अहम कदम भी साबित हुआ।
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