बिहार में वर्तमान में भूमि सर्वेक्षण का कार्य तेज़ी से चल रहा है। इस प्रक्रिया में एक बड़ी समस्या सामने आई है, जिसमें पुराने भूमि दस्तावेज और खतियान कैथी लिपि में लिखे हुए हैं। सर्वेक्षण कर्मियों और आम रैयतों के लिए इन दस्तावेजों को पढ़ना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। इस समस्या के समाधान के लिए बिहार सरकार ने कैथी लिपि के प्रशिक्षण और इससे संबंधित पुस्तिका का प्रकाशन किया है।
कैथी लिपि से जुड़ी समस्याएं
राज्य में पुराने समय के भूमि दस्तावेज, खतियान और अन्य राजस्व रिकॉर्ड कैथी लिपि में लिखे गए हैं। वर्तमान में चल रही विशेष सर्वेक्षण प्रक्रिया के दौरान इन दस्तावेजों को पढ़ने और समझने में सर्वे कर्मियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। आम रैयत भी इस समस्या से परेशान थे, क्योंकि अपने पुराने दस्तावेजों को समझने और उनके स्वामित्व के निर्धारण के लिए उन्हें निजी विशेषज्ञों या सरकारी कर्मियों पर निर्भर रहना पड़ता था। इसके लिए कई बार अनावश्यक रूप से राशि भी खर्च करनी पड़ती थी।
राजस्व विभाग का पहल
इस समस्या को देखते हुए बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने कैथी लिपि को समझने और पढ़ने के लिए सर्वेक्षण कर्मियों को प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया। इसके अलावा, विभाग ने कैथी लिपि से संबंधित एक विशेष पुस्तिका का प्रकाशन किया है। यह पुस्तिका सर्वे कर्मियों और आम लोगों के लिए उपयोगी साबित होगी।
पुस्तिका का विमोचन
5 दिसंबर को बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल ने अपने कार्यालय कक्ष में इस पुस्तिका का विमोचन किया। इस अवसर पर विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह, सचिव जय सिंह, और भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशक श्रीमती जे. प्रियदर्शिनी भी मौजूद थीं। पुस्तिका को विभागीय वेबसाइट पर भी उपलब्ध कराया गया है, जिससे आम जनता इसे डाउनलोड कर इसका लाभ उठा सकती है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम
कैथी लिपि को समझने के लिए राजस्व विभाग ने 7 जिलों—पश्चिम चंपारण, दरभंगा, समस्तीपुर, सीवान, सारण, मुंगेर और जमुई—में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया है। इस प्रशिक्षण में विशेष सर्वेक्षण कर्मियों को शामिल किया गया। इसके अलावा, राज्य के अन्य जिलों में भी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई गई है। इस पहल के तहत बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के शोध छात्र प्रीतम कुमार की सेवाएं ली गईं, जिन्होंने प्रशिक्षण सामग्री और पुस्तिका तैयार करने में मदद की।
लाभ और उद्देश्य
कैथी लिपि पर आधारित इस पुस्तिका और प्रशिक्षण से सर्वे कर्मी और आम रैयत दोनों को लाभ होगा। अब लोग अपने पुराने भूमि दस्तावेजों को खुद पढ़ और समझ सकेंगे। इससे सर्वेक्षण प्रक्रिया में तेजी आएगी और पारदर्शिता बढ़ेगी। जिन रैयतों के पास पुराने दस्तावेज कैथी लिपि में हैं, वे अब अपने भू-स्वामित्व को निर्धारित कर सकेंगे।
राज्य सरकार का दृष्टिकोण
बिहार सरकार ने इस कदम को भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताया है। मंत्री डॉ. दिलीप जायसवाल ने कहा कि राज्य सरकार अपने नागरिकों को भूमि से संबंधित सभी समस्याओं का समाधान देने के लिए प्रतिबद्ध है। यह पुस्तिका न केवल सर्वे कर्मियों के लिए उपयोगी है, बल्कि आम जनता के लिए भी एक महत्वपूर्ण साधन साबित होगी।
निष्कर्ष
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा उठाया गया यह कदम कैथी लिपि की समस्या को हल करने की दिशा में एक अहम प्रयास है। इससे न केवल सर्वेक्षण प्रक्रिया सुगम होगी, बल्कि आम रैयतों को भी अपने दस्तावेजों को समझने और भू-स्वामित्व के निर्धारण में मदद मिलेगी। यह पहल राज्य के भूमि प्रबंधन को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने में सहायक सिद्ध होगी।
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