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“समस्तीपुर के भूल्लू सहनी: जन्म से अंधे, 13 जानें बचाईं ‘जल योद्धा'”

समस्तीपुर: जन्म से नेत्रहीन भूल्लू सहनी बने ‘जल योद्धा,’ 13 लोगों की बचाई जान, 14 श'व निकाले.

फोटो साभार समस्तीपुर टाउन.

समस्तीपुर जिले के पटोरी प्रखंड के डुमडुमा गांव के रहने वाले 35 वर्षीय भूल्लू सहनी की कहानी प्रेरणादायक है। जन्म से नेत्रहीन होने के बावजूद, भूल्लू सहनी ने अपनी हिम्मत और हुनर से कई जिंदगियां बचाई हैं। भूल्लू अब तक 13 लोगों को डूबने से बचा चुके हैं और 14 श’वों को नदी से बाहर निकाल चुके हैं। लोग उन्हें प्यार से ‘जल योद्धा’ कहकर पुकारते हैं।

नेत्रहीनता के बावजूद बना खास हुनर

भूल्लू सहनी बताते हैं कि उनकी नेत्रहीनता ने उन्हें एक खास समझ दी है। जैसे ही कोई नदी में डूबता है, उन्हें उसकी उपस्थिति का एहसास हो जाता है। भूल्लू के अनुसार, पानी के नीचे उन्हें कुछ चमकता हुआ महसूस होता है, जो उन्हें डूबे हुए इंसान या वस्तु का पता लगाने में मदद करता है। उन्होंने बचपन में ही अपने पिता से तैराकी और मछली पकड़ने की कला सीखी थी, जो आज उनके लिए सबसे बड़ी ताकत बन चुकी है।

भूल्लू गंगा, बागमती, और बूढ़ी गंडक जैसी नदियों में बिना किसी डर के कूद जाते हैं और डूबते हुए इंसानों को बचाते हैं। यह काम वह अपनी जान जोखिम में डालकर करते हैं।

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जीवन-यापन और संघर्ष

भूल्लू का गुजारा स्थानीय उत्पाद बेचकर होता है। जब वह किसी को बचाते हैं या नदी से श’व निकालते हैं, तो स्थानीय लोग उन्हें 1,500 से 2,000 रुपये तक का इनाम दे देते हैं। हालांकि, यह उनकी मेहनत और साहस के मुकाबले बहुत कम है। अब तक प्रशासन की ओर से उन्हें कोई मदद नहीं मिली है।

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डुमडुमा पंचायत की मुखिया जागो देवी ने कई बार भूल्लू के लिए सरकार से मदद की मांग की, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया। भूल्लू की स्थिति यह सवाल खड़ा करती है कि ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करने और उनके प्रयासों को सम्मानित करने के लिए सरकार की ओर से कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं।

समाज के लिए मिसाल

भूल्लू सहनी का जीवन यह साबित करता है कि शारीरिक कमी किसी इंसान के हौसले को रोक नहीं सकती। उनका साहस और परोपकार हर किसी के लिए प्रेरणा है। भूल्लू जैसे लोग समाज की असली पूंजी हैं, जिन पर हमें गर्व करना चाहिए।

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आशा है कि प्रशासन जल्द ही भूल्लू की मदद करेगा और उनके अद्भुत काम के लिए उन्हें सम्मानित किया जाएगा। उनका संघर्ष और समर्पण हर किसी को यह सिखाता है कि परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, अगर हौसला हो तो कुछ भी असंभव नहीं।

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Source
Samastipur Town

Gaam Ghar Desk

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