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सुप्रीम कोर्ट ने बिहार विधान परिषद उपचुनाव परिणाम पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार विधान परिषद उपचुनाव के नतीजे पर लगाई रोक, 23 जनवरी को होने वाली वोटिंग पर असमंजस.

पटना : बिहार विधान परिषद की खाली सीट पर उपचुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज है। JDU ने इस सीट पर ललन प्रसाद को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी नतीजों पर रोक लगा दी है। यह मामला तब चर्चा में आया जब राजद के पूर्व एमएलसी सुनील सिंह, जिनकी सदस्यता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मिमिक्री करने के आरोप में रद्द कर दी गई थी, ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।

सुनील सिंह की सदस्यता रद्द होने का मामला

सुनील सिंह, जो लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाते हैं, पर आरोप है कि उन्होंने बिहार विधान परिषद के मानसून सत्र के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मिमिक्री की और उन्हें ‘पलटू राम’ कहा। इसे आचार समिति ने गंभीर उल्लंघन मानते हुए उनकी सदस्यता रद्द कर दी थी। इस फैसले के खिलाफ सुनील सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि इस मामले में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ है। उन्होंने कहा कि सुनील सिंह को निष्कासन के दौरान अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया और वीडियो रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध नहीं कराई गई। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि संसद या विधानमंडल के कार्य न्यायिक समीक्षा के दायरे में आते हैं और याचिका का दाखिल होना उनका एकमात्र उपाय है।

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सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि मामले की सुनवाई अगले दिन भी जारी रहेगी और तब तक चुनावी नतीजों की घोषणा पर रोक रहेगी।

ललन प्रसाद का नामांकन और समर्थन

JDU ने इस सीट के लिए ललन प्रसाद को उम्मीदवार घोषित किया है। गुरुवार को उनके नामांकन के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, और लघु जल संसाधन मंत्री संतोष सुमन सहित कई नेता उपस्थित रहे।

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उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने ललन प्रसाद की उम्मीदवारी को समता पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं के लिए सम्मान बताया। उन्होंने कहा कि ललन प्रसाद 30 वर्षों से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं, और उनकी उम्मीदवारी NDA की आपसी सहमति से तय की गई है।

23 जनवरी को होने वाली वोटिंग और संभावित परिणाम

इस सीट के लिए मतदान 23 जनवरी को विधानसभा में होना तय है। उसी दिन नतीजों की घोषणा भी की जाएगी। नामांकन की प्रक्रिया 6 जनवरी से शुरू हुई और 13 जनवरी को समाप्त हुई।

आंकड़ों के आधार पर NDA के पास पर्याप्त संख्या बल है, जिससे ललन प्रसाद की जीत तय मानी जा रही है। हालांकि, RJD ने अब तक अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। अगर RJD कोई उम्मीदवार नहीं उतारती है, तो ललन प्रसाद का निर्विरोध चुना जाना तय है।

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राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर

सुनील सिंह की सदस्यता रद्द किए जाने और सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई से यह चुनाव अब राजनीतिक चर्चाओं में आ गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर न सिर्फ इस सीट पर बल्कि बिहार की राजनीति पर भी पड़ेगा।

सुनील सिंह के वकील सिंघवी ने सदस्यता रद्द करने के निर्णय को अनुचित बताया है, जबकि JDU और NDA इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत मान रही है। अब देखना यह होगा कि सुप्रीम कोर्ट के अगले आदेश और 23 जनवरी की वोटिंग से क्या परिणाम निकलते हैं।

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