बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के मुख्यालय बेतिया के अंतिम राजा हरेंद्र किशोर सिंह की संरक्षित संपत्तियों में से एक संदूक 80 साल बाद 18 जनवरी 2025 को खोला गया। संदूक से बेशकीमती गहनों का खजाना मिला, जिसमें सोने की मटरमाला और अन्य बेशकीमती गहने शामिल हैं। यह संदूक भारतीय स्टेट बैंक की पटना शाखा के स्ट्रॉन्ग रूम में सुरक्षित रखा गया था। इसे खोलने की प्रक्रिया के दौरान मौजूद अधिकारियों और विशेषज्ञों ने इन गहनों की ऐतिहासिक और मौद्रिक महत्व की सराहना की।
बेतिया महाराज के संदूक से मिला खजाना
संदूक खोलने के दौरान भारी मात्रा में सोने की मटरमाला और अन्य गहने बरामद हुए। अधिकारियों का मानना है कि यह बेतिया राज की ऐतिहासिक संपत्ति का सिर्फ एक हिस्सा है। इस खजाने की खोज के बाद, अन्य पांच संदूकों को खोलने की भी योजना बनाई जा रही है। इन संदूकों में भी बेशकीमती सामान होने की संभावना है। सरकार जल्द ही इनके मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू करेगी।
बेतिया राज का इतिहास
बेतिया राज का इतिहास बिहार के गौरवशाली अतीत की गवाही देता है। अंतिम राजा हरेंद्र किशोर सिंह ने 1883 से 1893 तक इस रियासत पर शासन किया। राजा हरेंद्र किशोर सिंह की मृत्यु 1893 में हुई। उनके कोई उत्तराधिकारी नहीं थे, जिसके बाद उनकी संपत्तियों और राज का प्रबंधन उनकी पत्नियों के माध्यम से ‘कोर्ट ऑफ वार्ड्स’ को सौंप दिया गया।
महारानी जानकी कुंवर ने भी इस राजवंश की संपत्ति का प्रबंधन किया। बेतिया राज की संपत्तियों में हजारों एकड़ भूमि, महल, रत्न और बहुमूल्य धरोहर शामिल हैं।
राज्यकरण के बाद संपत्ति का मूल्यांकन
पिछले महीने बिहार विधानमंडल द्वारा पारित अधिनियम के माध्यम से बेतिया राज की सभी संपत्तियों का अधिकार बिहार सरकार को स्थानांतरित कर दिया गया। अब राज्य सरकार इन संपत्तियों का प्रबंधन, संरक्षण और मूल्यांकन कर रही है। इस कदम का उद्देश्य न केवल इन ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण है, बल्कि अतिक्रमण और चोरी जैसी घटनाओं को रोकना भी है।
1990 की सबसे बड़ी चोरी
बेतिया राज की संपत्तियों में कई ऐतिहासिक घटनाएं दर्ज हैं। 1990 में बेतिया राज के दौलतखाना से हीरे और जवाहरात की चोरी हुई थी। यह चोरी एशिया की सबसे बड़ी चोरी मानी जाती है। इस घटना ने बेतिया राज की संपत्तियों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए थे।
अतिक्रमण की समस्या और जमीन का संरक्षण
बेतिया राज के पास 15,358.60 एकड़ भूमि है, जिसमें से 15,215.33 एकड़ भूमि बिहार में और 143.26 एकड़ भूमि उत्तर प्रदेश में स्थित है। हालांकि, इस विशाल भूमि के कई हिस्सों पर अतिक्रमण हो चुका है। सरकार अब इन भूमि हिस्सों को फिर से अपने कब्जे में लेने और उनका संरक्षण करने के प्रयास में जुटी है।
सरकार का संरक्षण प्रयास
राज्य सरकार ने बेतिया राज की संपत्तियों को सुरक्षित रखने और चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए इन्हें अपने कब्जे में ले लिया है। यह कदम न केवल इन ऐतिहासिक संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी संरक्षित करेगा।
संदूक खोलने का महत्व
80 साल बाद संदूक खोलने की यह घटना न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि बिहार के लिए सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह संदूक इतिहास के कई अनछुए पहलुओं को उजागर कर सकता है। इसके साथ ही, इससे जुड़े अन्य संदूकों को खोलने की प्रक्रिया भी शुरू होगी।
स्थानीय लोगों और प्रशासन की प्रतिक्रिया
इस घटना को लेकर स्थानीय लोगों और प्रशासनिक अधिकारियों में उत्सुकता है। प्रशासन इस खोज को ऐतिहासिक मानते हुए इसकी सुरक्षा के लिए सतर्क है। वहीं, स्थानीय लोग इसे बेतिया राज की समृद्ध विरासत का प्रमाण मान रहे हैं।
बेतिया राज की संपत्तियों का यह खजाना बिहार के समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। संदूक खोलने और संपत्तियों के मूल्यांकन के बाद सरकार इन्हें संरक्षित करने के लिए ठोस कदम उठा रही है। आने वाले दिनों में अन्य संदूकों से और भी चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं। यह घटना न केवल इतिहास में दर्ज होगी, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को भी नई पहचान देगी।
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