8 साल बाद गणतंत्र दिवस परेड में दिखेगी बिहार की झांकी, क्या होगा खास?
नई दिल्ली : गणतंत्र दिवस परेड में इस बार बिहार की झांकी 8 साल बाद कर्तव्य पथ पर नजर आएगी। इस वर्ष झांकी को “स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास” थीम पर प्रदर्शित किया जाएगा। बिहार के समृद्ध ज्ञान, शांति, और सांस्कृतिक परंपरा की झलक इस झांकी में देखने को मिलेगी। बिहार सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री महेश्वर हजारी ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि यह झांकी रक्षा मंत्रालय द्वारा चयनित की गई है और इसका प्रदर्शन 26 जनवरी को नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर किया जाएगा।
बिहार की झांकी में क्या होगा खास?
इस बार झांकी में बिहार की प्राचीन ज्ञान परंपरा, शांति का संदेश और ऐतिहासिक धरोहरों को उजागर किया जाएगा। झांकी में भगवान बुद्ध को शांति का संदेश देते हुए दिखाया जाएगा। भगवान बुद्ध की यह अलौकिक मूर्ति राजगीर के घोड़ा कटोरा जलाशय में स्थित है, जो हर साल लाखों सैलानियों को आकर्षित करती है। इसके माध्यम से बिहार की शांति और ज्ञान की भूमि के रूप में पहचान को प्रस्तुत किया जाएगा।
झांकी में नालंदा विश्वविद्यालय को भी शामिल किया गया है। यह प्राचीन भारतीय शिक्षा और संस्कृति का प्रतीक है। नालंदा विश्वविद्यालय, जिसे 5वीं सदी में गुप्त काल के दौरान स्थापित किया गया था, भारत की ज्ञान परंपरा का स्वर्णिम अध्याय है। इस विश्वविद्यालय ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई थी।
नालंदा विश्वविद्यालय: बिहार की प्राचीन धरोहर
इतिहासकारों के अनुसार, नालंदा विश्वविद्यालय में एक समय लगभग 10,000 विद्यार्थी और 2,000 अध्यापक थे। यह शिक्षा का विश्वस्तरीय केंद्र था, जहां दुनियाभर से छात्र पढ़ने आते थे। लेकिन 1199 में तुर्क आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी के हमले के बाद इसे नष्ट कर दिया गया। विश्वविद्यालय में इतनी अधिक पुस्तकें थीं कि आक्रमण के बाद उसकी आग तीन महीने तक जलती रही।
अब केंद्र और बिहार सरकार मिलकर इस प्राचीन विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रही हैं। इसे आधुनिक शिक्षा और प्राचीन ज्ञान का केंद्र बनाकर वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की योजना है।
झांकी का उद्देश्य
इस झांकी के माध्यम से भारत और विश्व को यह संदेश दिया जाएगा कि बिहार केवल ऐतिहासिक धरोहरों की भूमि नहीं है, बल्कि यह शांति, ज्ञान और विकास का प्रतीक है। प्राचीन काल से लेकर आज तक बिहार ने ज्ञान और शांति का संदेश पूरी दुनिया को दिया है।
गणतंत्र दिवस परेड में झांकी का महत्व
8 साल के लंबे अंतराल के बाद बिहार की झांकी को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल किया गया है। झांकी में दिखाए गए विषय को “स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास” थीम के अंतर्गत चयनित किया गया है, जो भारत के समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास और आधुनिक विकास को उजागर करेगा।
मंत्री महेश्वर हजारी ने कहा, “यह बिहार के लिए गर्व का क्षण है। झांकी में भगवान बुद्ध और नालंदा विश्वविद्यालय को प्रमुखता से शामिल किया गया है। यह झांकी बिहार के प्राचीन गौरव और आधुनिक विकास को दर्शाएगी।”
बिहार की झांकी: ऐतिहासिक और सांस्कृतिक योगदान का प्रतीक
गणतंत्र दिवस परेड में बिहार की झांकी के माध्यम से राज्य की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को दिखाने का प्रयास किया गया है। झांकी के माध्यम से भारत की समृद्ध विरासत और विकास के प्रतीक के रूप में बिहार को प्रस्तुत किया जाएगा।
इस वर्ष गणतंत्र दिवस परेड में बिहार की झांकी का चयन न केवल राज्य के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक गर्व का क्षण है। यह झांकी दर्शकों को बिहार की समृद्ध परंपरा, ज्ञान और शांति के संदेश के साथ जोड़ने का काम करेगी।
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