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अंकों के माध्यम से व्यक्ति के विषय एवं उसके भविष्य को जानने का प्रयास किया जाता है – पंकज सिन्हा, वास्तु अंकशास्त्री 

अंक ज्योतिष एक महत्वपूर्ण विद्या है, अंक ज्योतिष को अंग्रेजी में न्यूमरोलॉजी के नाम से पहचाना जाता है

अंक ज्योतिष एक महत्वपूर्ण विद्या है, अंकों के माध्यम से व्यक्ति के विषय एवं उसके भविष्य को जानने का प्रयास किया जाता है. अंक ज्योतिष को अंग्रेजी में न्यूमरोलॉजी के नाम से पहचाना जाता है. यदि हम अंक ज्योतिष के इतिहास को जानने का प्रयास करें तो पाएंगे कि इसका इतिहास 10,000 पूर्व से भी पहले का रहा होगा मिस्र, बेबिलोन और ग्रीस में इनकी जडों का पनपना आरंभ हुआ तथा पाइथागोरस जी के कार्यों द्वारा इन्हें प्रमुखता प्राप्त हुई. कोई भी दिन अंकों के बिना नहीं बीतता है. मिस्र के महान गणित शास्त्र पायथागोरस ने अंकों की महत्ता के विषय में इस तथ्य का अनुमोदन किया कि “ Number rules the universe’’ अर्थात अंक ब्रह्मांड पर राज करते हैं. अंकों के व्यवहारिक उपयोग करके मनुष्य के विभिन्न पक्षों, उसकी विचारधारा, जीवन के विषय इत्यादि का विशद विवरण प्रस्तुत करने का प्रयास किया जाता है. अंक ज्योतिष को अंक विद्या या अंक शास्त्र और संख्या शास्त्र इत्यादि के नाम से भी जाना जाता है. अंक शास्त्र में नौ ग्रहों सूर्य, चन्द्र, गुरू, यूरेनस, बुध, शुक्र, वरूण, शनि और मंगल को आधार बनाकर उनकी विशेषताओं के आधार पर गणना की जाती है.

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अंकशास्त्र विद्वानों का मानना है कि अंकशास्त्र का प्रारंभ हिब्रू मूलाक्षरों से हुआ है. अंक ज्योतिष हिब्रू लोगों का विषय रहा है. इसके अनुसार इजिप्ट की जीप्सी जनजाति ने भी इस शास्त्र को विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

अंक शास्त्र में प्रत्येक ग्रह के लिए 1 से लेकर 9 तक एक अंक निर्धारित किया गया है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि कौन से ग्रह पर किस अंक का असर होता है और यही नौ ग्रह मनुष्य के जीवन पर अपना प्रभाव डालते हैं. जन्म के समय ग्रहों की जो स्थिति होती है, उसी के अनुसार उस व्यक्ति का व्यक्तित्व निर्धारित हो जाता है. इसलिए, जन्म के पश्चात व्यक्ति पर उसी अंक का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है, जो कि व्यक्ति का स्वामी होता है. यदि एक व्यक्ति का अंक किसी दूसरे व्यक्ति के अंक के साथ मेल खा रहा हो तो दोनों व्यक्तियों के मध्य एक अच्छा संबंध बनता है.

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अंक ज्योतिष शास्त्र में क, ख, ग, घ के अक्षरों और अंकों पर विचार किया जाता है. व्यक्ति के नाम के अक्षर अंग्रेजी में लिखकर प्रत्येक अक्षर की अंक गणना करके नाम का नामांक प्राप्त किया जाता है. तथा जन्म तारीख, माह एवं वर्ष के अंकों का योग करके भाग्यांक प्राप्त किया जाता है तथा इसके द्वारा भविष्यवाणी की जाती है.

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ज्योतिष गणना में किसी व्यक्ति का शुभ अंक उस व्यक्ति के जन्मतिथि के अनुसार लगाया जाता है। जिसे मूलांक कहते हैं। मूलांक जन्मतिथि के अंकों के योग को कहा जाता है। जैसे यदि किसी व्यक्ति का जन्म 13 अप्रैल को हुआ तो तो इनके दोनों अंकों का योग 1+3=4 आता है इसे ही मूलांक कहा जाता है। अगर किसी की जन्मतिथि अंकों यानि 5 है तो उसका मूलांक 5 होगा। वहीं जन्म तिथि, जन्म माह और जन्म वर्ष का कुल योग भाग्यांक कहलाता है। जैसे अगर किसी का जन्म 13- 04- 1986 को हुआ है तो इन सभी अंकों के योग को भाग्यांक कहा जाता है। 1+3+4+1+9+8+6=32= 3+2= 5 यानि आपका भाग्यांक 5 है।

पंकज सिन्हा, वास्तु अंकशास्त्री 
पंकज सिन्हा, वास्तु अंकशास्त्री 

 

 

 

 

Ashok Ashq

Ashok ‘’Ashq’’, Working with Gaam Ghar News as a Co-Editor. Ashok is an all rounder, he can write articles on any beat whether it is entertainment, business, politics and sports, he can deal with it.

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