Patna : बिहार में चार विधानसभा ‘State legislative assemblies of India’ सीटों—इमामगंज, रामगढ़, बेलागंज और तरारी—पर उपचुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने मंगलवार, 15 अक्टूबर को इन उपचुनावों की तारीखें घोषित कीं। इसके तहत 13 नवंबर को मतदान होगा, जबकि 23 नवंबर को मतगणना की जाएगी।
उपचुनाव की प्रमुख सीटें और पार्टियों की रणनीति
बिहार के उपचुनावों में कई प्रमुख दलों के बीच टक्कर देखने को मिलेगी। इसमें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), जनता दल (यूनाइटेड) (जेडीयू), राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और भाकपा (माले) मुख्य दावेदार हैं। इसके अलावा, हाल ही में अपनी नई पार्टी बनाने वाले प्रशांत किशोर भी इस चुनावी जंग में उतरने की तैयारी में हैं। प्रशांत किशोर ने पहले ही घोषणा की थी कि उनकी पार्टी जन सुराज सभी चार सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी।
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी की रणनीति में मुस्लिम उम्मीदवारों को मौका देने की संभावना जताई जा रही है। उन्होंने पहले भी 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों में 40 मुस्लिम उम्मीदवार उतारने की घोषणा की थी। ऐसे में इस उपचुनाव में दो सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को मौका देना जन सुराज के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। हालांकि, इस बारे में अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। प्रशांत किशोर के इस कदम से बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में एक नया मोड़ आ सकता है, जहां जनता को एक नई पार्टी के विकल्प के रूप में देखने का मौका मिलेगा।
सीटों का राजनीतिक समीकरण
बिहार की चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव का आयोजन इसलिए हो रहा है क्योंकि यहां के विधायक सांसद बन चुके हैं। इमामगंज, रामगढ़, बेलागंज, और तरारी में पिछले चुनावों में अलग-अलग दलों की जीत हुई थी। रामगढ़ और बेलागंज सीट पर राजद ने जीत दर्ज की थी, जबकि तरारी में सीपीआई (एमएल) ने और इमामगंज में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के नेता जीतन राम मांझी विजयी हुए थे।
एनडीए की सीट बंटवारे की योजना
सूत्रों के अनुसार, एनडीए ने सीटों के बंटवारे की योजना तैयार कर ली है। खबरों के मुताबिक, रामगढ़ और तरारी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपने उम्मीदवार उतारेगी। वहीं, बेलागंज से जनता दल (यूनाइटेड) (जेडीयू) और इमामगंज से हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) (हम) के उम्मीदवार एनडीए के प्रत्याशी होंगे। इस तरह एनडीए की योजना है कि वह चारों सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखे और चुनावी नतीजों में बढ़त हासिल करे।
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पिछली जीत और वर्तमान चुनौतियां
पिछले चुनावों में राजद ने रामगढ़ और बेलागंज सीटों पर अच्छा प्रदर्शन किया था, जबकि तरारी में सीपीआई (एमएल) ने विजय पाई थी। इमामगंज सीट से जीतन राम मांझी की जीत ने उस समय राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव लाया था। अब जब ये सीटें फिर से उपचुनाव के लिए तैयार हैं, तो सवाल है कि क्या राजद और सीपीआई (एमएल) अपने गढ़ों को बरकरार रख पाएंगे, या एनडीए और जन सुराज की चुनौती उन्हें पीछे धकेल देगी।
जन सुराज के आने से बढ़ी प्रतिस्पर्धा
प्रशांत किशोर के इस चुनावी मैदान में उतरने से मुकाबला और भी रोचक हो गया है। उनकी जन सुराज पार्टी ने उपचुनावों में अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है, जिससे कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है। पीके की पार्टी अगर मुस्लिम उम्मीदवार उतारती है, तो इससे क्षेत्रीय समीकरण और मतदाताओं का झुकाव बदल सकता है। जन सुराज के आने से उपचुनावों की राजनीतिक स्थिति में नया मोड़ आ सकता है।
चुनावी तैयारियों में जुटी पार्टियां
उपचुनाव की तारीखें घोषित होने के बाद सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। बीजेपी, जेडीयू, आरजेडी, और अन्य दलों ने अपने संभावित उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा शुरू कर दी है। सभी दल अपने-अपने गढ़ों को मजबूत करने और नए समीकरण बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
इन चारों सीटों पर उपचुनाव का परिणाम आगामी 2025 के विधानसभा चुनावों के लिए एक संकेत हो सकता है। बिहार की राजनीति में इस उपचुनाव का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह न केवल दलों की लोकप्रियता का परीक्षण करेगा, बल्कि 2025 के विधानसभा चुनावों के लिए उनकी रणनीतियों का भी आधार बनेगा।