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भोजपुरी फिल्म – बाबुल
BHOJPURI MOVIE REVIEWS GAAM GHAR
अमित झा
बस एक साफ सुथरी साधारण फिल्म है बाबुल
ना यह हिन्दी पट्टी की फिल्म बन पाई है ना ही भोजपुरी रह पाई है । अवधेश मिश्रा को चाहिए की वह अच्छे अभिनेता है , लेखन – निर्देशन का भार खुद पर ना ले वर्ना ऐसी कमजोर लेखनी और साधारण निर्देशन के सहारे बस साफ-सुथरी भोजपुरी के नाम पर ही सिनेमा बिकेगी, दर्शक को मिलेगा कुछ नहीं । मेरी बात कड़वी है लेकिन यही सच है । हां मैं बाकि भोजपुरी ( या कथित हिन्दी भोजपुरी) के बारे में नहीं लिखता , लेकिन इसकी हद से ज्यादा तारीफ सुन देखी । लेकिन बहुत निराशा हाथ लगी । अभिनय सबका ठीक है, एक बस उस मलकाईन को छोड़ … वह बिना मतलब की लाउड है ।
देव और शशि से और अच्छे की उम्मीद रखता हूँ। आज के जमाने में एक निराशावादी विचार को बढ़ावा देती, न्यु जनरेशन को कमजोर करती कहानी है । यह कहानी प्रेरणादायक नहीं हो सकती जिसका नायक अपनी जीवन की तपस्या के बदले कुछ नही पाता । यह सोच ही नकारात्मक है जिसे एक चिट्ठी के सहारे लीपापोती करने की कोशिश है । हां गांव के मनोरम दृश्य जरूर हैं ।
भोजपुरी के नाम पर हिन्दी पट्टी की यह फिल्म भोजपुरी सिनेमा को कहीं से मजबूत नहीं करती क्योंकि यह भोजपुरी सिनेमा है ही नहीं । यह बस अवधेश मिश्रा की शो रील बन कर रह गई है । बाकि यह फिल्म भाषा के रूप में भोजपुरी में बनती तो भी पहल भर होती । भोजपुरी सिनेमा को सच में सही करना है तो सिर्फ साफ सुथरी के नाम पर बेहतर कहना बंद किजीए। आज के दौर की नई और बेहतर कहानी कहिए ।