बिहार; बिना आर्थिक मदद के 201 फ्री हेल्थ कैम्प आयोजित – डॉ. रमन किशोर
बिना किसी आर्थिक सहायता के 201 निःशुल्क हेल्थ कैम्प आयोजित करने वाले बिहार के इकलौते डॉक्टर बने डॉ. रमन किशोर
Patna : बिहार के सुदूर ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन दरभंगा के डॉ. रमन किशोर ने इसे अपनी जिंदगी का मकसद बना लिया है। पिछले 5 सालों से डॉ. रमन ने बिना किसी सरकारी या निजी आर्थिक सहायता के अपने वेतन का अधिकांश हिस्सा खर्च करके 201 निःशुल्क स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया है। इन शिविरों के माध्यम से उन्होंने 30,000 से अधिक ग्रामीणों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाई हैं, जिससे वे ‘गाँव के डॉक्टर’ के नाम से मशहूर हो गए हैं।
डॉ. रमन किशोर ने एमडी की पढ़ाई एम्स पटना से की है और सरकारी अस्पताल में कार्यरत हैं। वे हर रविवार और छुट्टी के दिन अपनी टीम के साथ बिहार के दूरदराज गांवों में जाकर स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन करते हैं। इन शिविरों में निःशुल्क जांच, परामर्श और दवाओं का वितरण किया जाता है। उनका उद्देश्य है कि ग्रामीणों को शुरुआती स्तर पर ही बीमारी का पता चले, ताकि समय पर उपचार शुरू किया जा सके।
स्वास्थ्य सेवा के व्यावसायीकरण के दौर में मानवता की मिसाल
आज के दौर में जब स्वास्थ्य सेवाएं तेजी से व्यावसायीकरण की ओर बढ़ रही हैं, डॉ. रमन किशोर का प्रयास एक मिसाल है। उन्होंने अब तक किसी भी मरीज से एक भी रुपये का शुल्क नहीं लिया और उनकी कोशिश है कि अपने जीवन में कभी भी मरीज से पैसा न लें। वे मानते हैं कि उनके काम का असली उद्देश्य उन लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना है जो इनसे वंचित हैं।
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डॉ. रमन ने बताया कि अधिकांश ग्रामीण अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक नहीं होते और तब तक अस्पताल नहीं जाते जब तक बीमारी गंभीर न हो जाए। इसका नतीजा यह होता है कि उनकी मृत्यु दर बढ़ जाती है और इलाज की लागत भी अधिक हो जाती है। इसलिए, वे अपने शिविरों में ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, ईसीजी, और हीमोग्लोबिन जैसी जांचों के जरिए शुरुआती चरण में ही बीमारी का पता लगाने की कोशिश करते हैं। इसके साथ ही, वे ग्रामीणों को अपनी जीवनशैली में बदलाव और नियमित दवा के सेवन के लिए प्रेरित करते हैं।
हजारों ग्रामीणों को समय रहते मिली मदद
डॉ. रमन के प्रयासों की बदौलत अब तक हजारों ऐसे लोगों की पहचान हो चुकी है, जिन्हें खुद पता नहीं था कि वे बीमार हैं। इन लोगों का समय पर इलाज शुरू कर दिया गया, जिससे उनकी जान बच सकी। इस नेक काम में उनके साथ उनकी समर्पित टीम भी काम करती है, जिसके लिए डॉ. रमन ने सभी का आभार व्यक्त किया।
अपने गांव से लगाव ने बनाई प्रेरणा
दरभंगा के एक छोटे से गांव में पले-बढ़े डॉ. रमन ने बिहार के ग्रामीण इलाकों की स्वास्थ्य समस्याओं को नजदीक से देखा है। उनका कहना है कि उन्होंने ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा की दुर्दशा का अनुभव किया है और इसीलिए उन्होंने अपने जीवन को इसे सुधारने के लिए समर्पित कर दिया। डॉ. रमन कहते हैं, “गाँव से मेरा गहरा लगाव है, इसलिए मैंने अपनी जिंदगी को इसी काम के लिए समर्पित किया है। ग्रामीणों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना मेरे लिए एक मिशन है, और मैं इसे अपनी जिम्मेदारी मानता हूं।”
डॉ. रमन किशोर का यह प्रयास न केवल बिहार बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा है। उनके समर्पण ने यह साबित कर दिया है कि सही इरादों और सेवा भाव से कोई भी बदलाव लाया जा सकता है। उनके इस सराहनीय प्रयास ने उन्हें बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के दिलों में एक खास जगह दी है।