पटना : उच्च न्यायालय के निर्देश पर बिहार में नियोजित शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की व्यापक जांच का कार्य पूरा कर लिया गया है। इस जांच में बड़ी संख्या में शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों में गड़बड़ी पाई गई है, जिसके बाद 2768 आरोपित शिक्षकों के खिलाफ 1563 मामले संबंधित जिलों में दर्ज कराए गए हैं। यह कार्रवाई निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा की गई, जिसने अपनी जांच रिपोर्ट उच्च न्यायालय को सौंप दी है।
शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच का विवरण
निगरानी विभाग के प्रधान सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि राज्य के 3,52,927 नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच की जानी थी। इनमें से 80% मामलों की जांच पूरी कर ली गई है। जांच के दौरान 354 मामले बिहार के बाहर के शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े पाए गए, जिन्हें संबंधित राज्यों में जांच के लिए भेजा गया है।
कड़ी कार्रवाई का संकेत
जांच में गड़बड़ी पाए जाने के बाद आरोपित शिक्षकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई तेज हो गई है। निगरानी विभाग के अनुसार, राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ *जीरो टॉलरेंस* नीति अपनाई है। विभागीय पदों पर रिक्तियों को भरने और जांच प्रक्रिया को तेज करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
लोक सेवकों की संपत्ति जब्ती पर भी कार्रवाई
जनवरी 2024 से अक्टूबर 2024 तक बिहार विशेष न्यायालय अधिनियम, 2009 के तहत 23.57 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इस दौरान 25 घोषणा पत्र जारी किए गए, जिनमें 18.24 करोड़ रुपये की संपत्ति बिहार विशेष न्यायालय (संशोधन) नियमावली, 2024 लागू होने के बाद जब्त की गई।
विशेष निगरानी इकाई की कार्रवाई
विशेष निगरानी इकाई (SVU) के एडीजी पंकज कुमार दराद ने बताया कि 2007 से अब तक एसवीयू ने 52 प्राथमिकी दर्ज की है। इनमें से 43 मामले आय से अधिक संपत्ति के हैं, जबकि 9 मामले ट्रैप केस और अन्य प्रकार के हैं। 26 मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया गया है, जबकि शेष 27 में अनुसंधान जारी है।
बड़ी संख्या में शिक्षकों की नौकरी खतरे में
जांच के दौरान सामने आई गड़बड़ियों के कारण 2768 नियोजित शिक्षकों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। इन मामलों में कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद दोषी पाए गए शिक्षकों की सेवा समाप्ति और अन्य दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
सरकार की सख्ती जारी
बिहार सरकार ने भ्रष्टाचार पर कड़ा रुख अपनाते हुए शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए यह बड़ा कदम उठाया है। निगरानी विभाग द्वारा की जा रही जांच और कार्रवाई से राज्य में सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है।