पटना : बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन का नजारा सदन के अंदर और बाहर बिल्कुल अलग दिखा। बाहर विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया, लेकिन सदन के भीतर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच इशारों में संवाद ने चर्चा का विषय बना दिया। तेजस्वी ने नीतीश की बंडी (कोटी) की तारीफ की, जिसके बाद सीएम ने हाथ घुमाकर उनके हाल-चाल पूछे। दोनों नेताओं के बीच हुए इस संवाद ने सदन के गंभीर माहौल में हल्के पलों का संचार किया।
नीतीश-तेजस्वी का इशारों में संवाद
सत्र के दौरान प्रश्नोत्तर काल चल रहा था, जिसमें मंत्री अशोक चौधरी जवाब दे रहे थे। इसी बीच, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तेजस्वी की ओर नाक पर इशारा करते हुए सवाल किया। तेजस्वी ने भी उनकी बात को समझते हुए इशारों में ही जवाब दिया, जिसके बाद दोनों हंसने लगे। यह दृश्य कैमरों में कैद हुआ और तुरंत चर्चा का विषय बन गया।
सदन से बाहर निकलने के बाद जब तेजस्वी यादव से इस घटना के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “व्यक्तिगत तौर पर हम नीतीश कुमार का सम्मान करते हैं, लेकिन उनकी राजनीति का विरोध करते हैं क्योंकि ना उनकी कोई नीति है और ना विचारधारा। हमारी इशारों में बातचीत अक्सर होती रहती है, समझने वाले सब समझते हैं।”
विपक्ष का हंगामा और तेजस्वी का पलटवार
सदन के अंदर हल्के पलों के बावजूद बाहर विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बिहार सरकार और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने सम्राट चौधरी पर झूठे बयान देने का आरोप लगाते हुए कहा कि डिप्टी सीएम को इतिहास की सही जानकारी नहीं है।
तेजस्वी ने कहा, “सम्राट चौधरी ने कहा था कि 1990 से 2004 तक आरजेडी सरकार ने आरक्षण नहीं दिया। उन्हें याद होना चाहिए कि उस समय वे हमारी पार्टी में थे और मंत्री भी बने थे। हमारे पिता लालू प्रसाद यादव और मां राबड़ी देवी की सरकार ने पिछड़ों और अतिपिछड़ों को आरक्षण देकर उनकी स्थिति मजबूत की।”
लालू यादव और आरक्षण की चर्चा
तेजस्वी यादव ने लालू यादव के आरक्षण बढ़ाने के फैसले का जिक्र करते हुए कहा, “1978 में जननायक कर्पूरी ठाकुर ने पिछड़ों और अतिपिछड़ों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया। उन्होंने अतिपिछड़ों को 12% और पिछड़ों को 8% आरक्षण दिया। 1990 में लालू जी ने अतिपिछड़ों के आरक्षण को 12% से बढ़ाकर 14% कर दिया। इसके बाद 2000 में जब राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं, तो उन्होंने इसे बढ़ाकर 18% कर दिया।”
तेजस्वी ने बीजेपी पर भी कटाक्ष करते हुए कहा, “बीजेपी ने हमेशा आरक्षण का विरोध किया है। कर्पूरी ठाकुर के समय बीजेपी के नेताओं ने उनके खिलाफ क्या-क्या नारे लगाए, यह सब जनता जानती है।”
नीतीश और तेजस्वी के बीच चर्चा का असर
सत्र में नीतीश और तेजस्वी की बातचीत का अंदाज राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर अलग संदेश दे रहा है। एक ओर दोनों नेता राजनीतिक रूप से एक-दूसरे का विरोध करते हैं, वहीं दूसरी ओर उनकी व्यक्तिगत बॉन्डिंग स्पष्ट दिखी। इस संवाद को राजनीतिक हलकों में सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
राजनीतिक संकेत और सत्र का समापन
शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन जहां विपक्ष ने बाहर हंगामा कर सरकार को घेरने की कोशिश की, वहीं अंदर सदन में हल्के-फुल्के पलों ने एक अलग ही माहौल बना दिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच संवाद ने यह साबित किया कि राजनीतिक विरोधाभास के बावजूद संवाद के माध्यम से एक सहज संबंध बनाए रखा जा सकता है।
इस सत्र के बाद बिहार की राजनीति में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि क्या इन इशारों में कोई राजनीतिक संदेश छिपा है या यह सिर्फ एक सामान्य संवाद था। वहीं, तेजस्वी यादव ने अपने बयान से स्पष्ट कर दिया कि वह व्यक्तिगत तौर पर नीतीश कुमार का सम्मान करते हैं, लेकिन उनकी राजनीतिक नीतियों का कड़ा विरोध करते रहेंगे।
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