बिहार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने संगठन में बड़े बदलाव करते हुए महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सह राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल ने कहा कि संगठन को और प्रभावी बनाने के लिए आयु सीमा और अनुभव के आधार पर नई गाइडलाइन्स लागू की जा रही हैं।
अब 45 वर्ष से अधिक आयु वाले नेता मंडल (प्रखंड) अध्यक्ष नहीं बन सकेंगे, जबकि 60 वर्ष की उम्र पार कर चुके नेताओं को जिलाध्यक्ष पद से वंचित रखा जाएगा। इसके अलावा, जो नेता पार्टी में पिछले छह साल से कम समय से हैं, वे भी जिलाध्यक्ष बनने की दौड़ में शामिल नहीं होंगे। वहीं, जो नेता दो बार जिलाध्यक्ष का पद संभाल चुके हैं, उन्हें तीसरी बार यह जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी।
भाजपा ने संगठनात्मक चुनाव के लिए पदों पर उम्र और अनुभव की सीमाएं तय करने के साथ ही जिलों और मंडलों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया है। वर्तमान में राज्य में 45 संगठनात्मक जिले हैं, जिसे बढ़ाकर 51 किया जाएगा। उदाहरण के तौर पर, गया जिला अब “गया उत्तर” और “गया दक्षिण” के रूप में विभाजित होगा। इसी तरह, मंडल स्तर पर भी पुनर्गठन किया जाएगा। अब तक सौ से सवा सौ बूथ पर एक मंडल इकाई होती थी, लेकिन अब 60 बूथ पर एक मंडल इकाई बनेगी।
समयबद्ध संगठनात्मक पुनर्गठन
डॉ. जायसवाल ने बताया कि 15 दिसंबर तक मंडलस्तरीय समितियों का गठन पूरा कर लिया जाएगा, जबकि 31 दिसंबर तक जिलास्तरीय समितियां तैयार हो जाएंगी। इसके बाद जनवरी में राज्यस्तरीय कमेटी का गठन होगा। इन सभी इकाइयों की जानकारी को भाजपा के “सरल पोर्टल” पर अपलोड करना अनिवार्य होगा।
विधानसभा चुनाव की तैयारी
भाजपा अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी के तहत संगठन को मजबूत और धारदार बनाने पर ध्यान दे रही है। इसके लिए जिलास्तरीय कोर कमेटियों की बैठकों का आयोजन किया जा रहा है। अब तक 15 से अधिक जिलों में बैठक हो चुकी है, और तीन दिनों में यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
भाजपा का मानना है कि इन बदलावों से संगठन का आधार मजबूत होगा और पार्टी आगामी चुनाव में बेहतर प्रदर्शन कर सकेगी।
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