बिहार: “मोबाइल फ्लैश लाइट” में दो महिलाओं की डिलीवरी, वीडियो वायरल
वैशाली : बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली एक बार फिर उजागर हो गई है। वैशाली जिले के सहदेई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से आई ताजा घटनाओं ने स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है। यहां बिजली गुल हो जाने के कारण दो महिलाओं की डिलीवरी मोबाइल की फ्लैश लाइट के सहारे करानी पड़ी, जिसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस घटना ने न केवल स्वास्थ्य केंद्र की सुविधाओं की कमी को सामने लाया, बल्कि सरकार के दावों को भी सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।
यह घटना सहदेई प्रखंड के 30-बेड वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की है, जिसे पहले 6-बेड के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से अपग्रेड किया गया था। प्रसव पीड़ा में कराह रही दो महिलाओं, पार्वती देवी और राघनी कुमारी, को देर रात अस्पताल लाया गया था। पार्वती देवी नयागांव पश्चिमी तयबपुर के निवासी बिपिन राम की पत्नी हैं, जबकि राघनी कुमारी सहदेई के विश्वजीत कुमार की पत्नी हैं। रात के समय बिजली कटने के बाद दोनों महिलाओं की डिलीवरी मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में करानी पड़ी।
अस्पताल में बिजली गुल होने के बाद, उपस्थित आशा कार्यकर्ता ने चिकित्सा पदाधिकारी को इसकी जानकारी दी, लेकिन जनरेटर चालू नहीं किया गया। आशा कार्यकर्ता आशा कुमारी के अनुसार, बिजली रात 1:30 बजे कटी और पेशेंट 1:45 बजे अस्पताल पहुंची। 2:10 बजे मोबाइल की फ्लैश लाइट का सहारा लेकर डिलीवरी कराई गई।
सिर्फ बिजली की ही नहीं, अस्पताल में पानी की भी कमी थी। आशा कुमारी ने बताया कि पानी की टंकी खाली हो चुकी थी, और मरीजों के लिए नीचे से पानी लाकर ऊपर पहुंचाना पड़ रहा था। पूरी रात अस्पताल में न बिजली थी और न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था। ऐसे में मोबाइल की रोशनी का सहारा लेकर मरीजों की देखभाल की गई।
यह वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर सरकार और स्वास्थ्य विभाग की तीखी आलोचना हो रही है। लोगों का कहना है कि बिहार में डबल इंजन सरकार के दावे पूरी तरह से खोखले साबित हो रहे हैं। जिस तरह की सुविधाओं का वादा किया जाता है, जमीनी हकीकत उससे बहुत अलग है। इस घटना ने एक बार फिर बिहार के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा को उजागर कर दिया है, जहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव अभी भी बना हुआ है।
स्वास्थ्य केंद्र के अपग्रेडेशन के बावजूद ऐसी घटनाएं सामने आना, सरकार और प्रशासन की अनदेखी और लापरवाही को दर्शाता है। इस तरह की घटनाएं यह सवाल उठाती हैं कि आखिर कब बिहार के नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध होंगी।