Patna : बिहार सरकार ने इस साल दिवाली पर चार जिलों में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। यह कदम वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। प्रतिबंधित जिलों में पटना, गया, मुजफ्फरपुर और हाजीपुर शामिल हैं। इन जिलों में दीवाली के दिन कोई भी पटाखा फोड़ने की अनुमति नहीं होगी, जबकि बाकी जिलों में केवल इको-फ्रेंडली पटाखों के उपयोग की इजाजत दी गई है।
वायु प्रदूषण को कम करने का उद्देश्य
सरकार ने यह निर्णय इन चार जिलों में पिछले साल दिवाली के दौरान वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के अत्यधिक खराब रहने के आधार पर लिया है। पटना, गया, मुजफ्फरपुर और हाजीपुर में बीते साल दिवाली के बाद वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया था। खासकर हाजीपुर में प्रदूषण के आंकड़े चिंताजनक रहे, जिसके कारण इन जिलों में इस बार पटाखों के उपयोग पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।
हरित पटाखों की अनुमति, लेकिन सिर्फ दो घंटे
चार जिलों को छोड़कर बिहार के बाकी जिलों में इको-फ्रेंडली यानी हरित पटाखों के उपयोग की अनुमति दी गई है। इन जिलों में लोग रात 8:00 बजे से 10:00 बजे तक केवल हरित पटाखे फोड़ सकते हैं। हरित पटाखों में कम धुआं और आवाज वाले पटाखे शामिल होते हैं, जिससे वायु प्रदूषण कम होता है। पटाखों का इस्तेमाल करने के नियमों का उल्लंघन करने पर विधिवत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
प्रशासन ने जारी किए सख्त निर्देश
पटना जिला प्रशासन ने पटाखों की बिक्री और उपयोग को लेकर कड़े निर्देश जारी किए हैं। डीएम चंद्रशेखर सिंह और एसएसपी राजीव मिश्रा ने अधिकारियों को अवैध पटाखों की बिक्री पर रोक लगाने और इस संबंध में धावा दल को सक्रिय रखने के निर्देश दिए हैं। प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि प्रतिबंधित जिलों में कोई भी व्यक्ति पटाखों का उपयोग न कर सके।
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न्यायालय के आदेशों का पालन
यह प्रतिबंध सर्वोच्च न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के निर्देशों के आलोक में लगाया गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने रिट याचिका संख्या 728/015 और NGT के आदेश के तहत उन क्षेत्रों में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की सलाह दी है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बहुत खराब रहता है। इस आदेश का पालन करते हुए बिहार सरकार ने इन चार जिलों में पटाखों पर पाबंदी लगाने का निर्णय लिया है।
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प्रतिबंध के पीछे का कारण
सरकार का यह निर्णय उन क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की गंभीरता को देखते हुए लिया गया है, जहां बीते वर्ष दिवाली के बाद वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बेहद खराब स्तर पर पहुंच गया था। पटाखों के जलने से निकलने वाला धुआं और प्रदूषक तत्व वातावरण में मिलकर हवा की गुणवत्ता को बेहद खराब कर देते हैं, जो खासकर बच्चों, बुजुर्गों और सांस संबंधी रोगियों के लिए हानिकारक है।
इस फैसले का उद्देश्य न केवल वायु प्रदूषण को कम करना है, बल्कि दीवाली के दौरान एक सुरक्षित और स्वस्थ पर्यावरण बनाए रखना भी है। सरकार ने नागरिकों से इस नियम का पालन करने और पर्यावरण के अनुकूल दिवाली मनाने की अपील की है।