Bihar Land Registry : बिहार में जमीन रजिस्ट्री (Bihar Land Registry) की फीस महंगी होने की संभावना है। 10 वर्षों बाद, राज्य सरकार ने निबंधन दर की समीक्षा करने का निर्णय लिया है, जिसके लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक जल्द ही होने वाली है, जिसमें न्यूनतम मूल्यांकन दर (एमवीआर) की संभावित दरों में बढ़ोतरी पर विचार किया जाएगा।
10 साल बाद हो रही है समीक्षा
पिछले एक दशक से बिहार में जमीन की निबंधन दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इस अवधि के दौरान, जमीन की कीमतों में कई क्षेत्रों में वृद्धि हुई है, लेकिन एमवीआर में कोई वृद्धि नहीं हुई। अब सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी इस बात पर विचार करेगी कि जमीन निबंधन दर में बढ़ोतरी होनी चाहिए या नहीं। सभी पहलुओं का विश्लेषण करने के बाद, कमेटी अपनी सिफारिशें राज्य सरकार को सौंपेगी, जिसके आधार पर सरकार अंतिम निर्णय लेगी।
कमेटी की संरचना और उद्देश्य
इस कमेटी का गठन निबंधन, उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के सचिव सह आयुक्त की अध्यक्षता में किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में जमीन की न्यूनतम निबंधन दर (एमवीआर) की समीक्षा करना है। कमेटी इस बात पर चर्चा करेगी कि किन क्षेत्रों में जमीन की दरों में वृद्धि की जरूरत है। इसके साथ ही, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में संभावित बदलाव पर भी मंथन किया जाएगा।
वर्ष 2014 के बाद बदलाव में रुकावट
2014 तक बिहार में प्रतिवर्ष एमवीआर में 10% की बढ़ोतरी का प्रावधान था, लेकिन इस प्रावधान में बदलाव करते हुए सरकार ने एमवीआर में वृद्धि को राज्य सरकार के आदेश से जोड़ दिया। इसके बाद, 2013 में ग्रामीण और 2016 में शहरी इलाकों में एमवीआर की दर में करीब 150% तक बढ़ोतरी की गई थी। इसके बाद से अब तक एमवीआर में किसी तरह का बड़ा बदलाव नहीं किया गया है।
हालांकि, कुछ ग्रामीण इलाकों को शहरी क्षेत्रों में बदलने के बाद उनके एमवीआर को शहरी क्षेत्रों के अनुरूप संशोधित किया गया है। लेकिन अन्य इलाकों में पिछले कई वर्षों से दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ है, जिससे जमीन की बढ़ती कीमतों के बावजूद निबंधन शुल्क जस का तस बना हुआ है।
समीक्षा के बाद बढ़ सकती हैं दरें
कमेटी की बैठक में यह तय किया जाएगा कि किन क्षेत्रों में दरें बढ़ाने की गुंजाइश है। यह उम्मीद जताई जा रही है कि कई क्षेत्रों में एमवीआर में वृद्धि की सिफारिश की जा सकती है। हालांकि, अंतिम निर्णय राज्य सरकार के हाथ में होगा, जो कमेटी की सिफारिशों के आधार पर एमवीआर में वृद्धि को लागू करने का फैसला करेगी।
आम लोगों पर असर
जमीन रजिस्ट्री की दरों में वृद्धि से राज्य में जमीन खरीदने वाले लोगों पर अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ेगा। इससे न केवल जमीन की रजिस्ट्री महंगी होगी, बल्कि जमीन की कीमतों में भी इजाफा हो सकता है। इससे राज्य के रियल एस्टेट सेक्टर पर भी असर पड़ सकता है।
हालांकि, सरकार का कहना है कि यह कदम निबंधन प्रक्रिया को अधिक व्यावहारिक बनाने और राज्य की राजस्व वृद्धि के लिए जरूरी है। अब, सरकार के अंतिम निर्णय का इंतजार है, जो कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर लिया जाएगा।