Bihar land survey : बिहार में चल रहे विशेष भूमि सर्वेक्षण अभियान को लेकर गांवों के साथ-साथ परदेश में काम करने गए रैयतों (भूमि धारकों) के बीच असमंजस और परेशानी की स्थिति बनी हुई है। इस अभियान का उद्देश्य जमीन के सही दस्तावेज तैयार करना और उसे नियमित करना है, लेकिन यह प्रक्रिया कई रैयतों के लिए जटिल साबित हो रही है। ज्यादातर रैयतों की जमीन पर कब्जा और दखल जरूर है, परंतु खतियान Khatian ( (जमीन के आधिकारिक दस्तावेज) अब भी उनके पूर्वजों के नाम पर है। इस स्थिति में कई रैयत ऐसे भी हैं जिन्होंने जमीन तीस साल पहले खरीदी, लेकिन अभी तक उस जमीन का दाखिल-खारिज (नए मालिक के नाम पर जमीन का हस्तांतरण) नहीं करवाया।
खतियान और वंशावली की समस्या
विशेष भूमि सर्वेक्षण के तहत रैयतों से खतियान में दर्ज नाम के आधार पर वंशावली बनाने की बात कही जा रही है। बक्सर जिले के डुमरांव क्षेत्र के विशेष सर्वेक्षण के सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी आशुतोष राज ने बताया कि वंशावली खतियान में दर्ज नाम के साथ ही शुरू होनी चाहिए और उसमें सभी उत्तराधिकारियों के नाम दर्ज होने चाहिए। अगर वंशावली में गलत नाम या जानकारी होगी, तो उसे अमान्य माना जाएगा। साथ ही, वंशावली का सत्यापन किसी नोटरी या मुखिया से नहीं कराया जाएगा, बल्कि इसे खुद रैयतों को बनाकर देना होगा। वंशावली का पहला नाम उसी का होना चाहिए जिसका नाम खतियान पर दर्ज है, जिससे यह प्रक्रिया और भी कठिन हो जाती है।
दाखिल-खारिज की जटिलता
जमीन के दाखिल-खारिज की समस्या भी रैयतों के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। कई रैयतों ने अपनी जमीनें सालों पहले खरीदी हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक जमीन का आधिकारिक दाखिल-खारिज नहीं करवाया है। विशेष भूमि सर्वेक्षण में ऐसे रैयतों को उनकी जमीन की रसीद दिखाने की जरूरत पड़ रही है। अगर किसी रैयत के पास खतियान की सत्यापित प्रति नहीं है, तो कटाई गई रसीद या रजिस्ट्री की छायाप्रति लगाई जा सकती है। इससे यह स्पष्ट होता है कि खतियान की अनुपलब्धता भी समस्या पैदा कर रही है।
संसाधनों की कमी
विशेष भूमि सर्वेक्षण अभियान को सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रशासन ने कर्मचारियों की तैनाती की है, लेकिन आवश्यक संसाधनों की कमी के कारण यह काम धीमा पड़ रहा है। डुमरांव के चौदह पंचायत और नया भोजपुर व पुराना भोजपुर के लिए 16 अमीनों की तैनाती की गई है। इसके अलावा दो कानूनगो और दो लिपिकों की भी पदस्थापना हुई है। हालांकि, बंदोबस्त कार्यालय का संचालन अंचल के पुराने भवन में हो रहा है, जहां कुर्सी, टेबल और अन्य संसाधनों की कमी के कारण सर्वेक्षण का काम अपेक्षित गति नहीं पकड़ पा रहा है। सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी ने बताया कि अमीन गांवों में जाकर रैयतों को प्रपत्र 2 और प्रपत्र 3(1) भरने के लिए जागरूक कर रहे हैं, ताकि प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके।
रैयतों की परेशानी और अंचल कार्यालय की सुस्त गति
अंचल कार्यालय की धीमी प्रगति से भी रैयत नाराज हैं। दाखिल-खारिज, एलपीसी (लैंड पॉजिशन सर्टिफिकेट) और अन्य सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की धीमी गति से लोगों को परेशानी हो रही है। जनता दल यूनाइटेड के प्रखंड अध्यक्ष सुरेश सिंह चौहान और वरीय उपाध्यक्ष निर्मल सिंह कुशवाहा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अंचल कार्यालय की उदासीनता पर नाराजगी जताई। उन्होंने अंचल कार्यालय के विभिन्न कार्यों की जांच कर कार्रवाई की मांग की है, ताकि रैयतों को हो रही परेशानी का समाधान निकाला जा सके।
प्रपत्र भरने की अनिवार्यता
रैयतों को प्रपत्र भरने की आवश्यकता के चलते सर्वेक्षण कार्यालयों में भीड़ बढ़ रही है। बाहर काम करने गए लोग भी फोन के माध्यम से पल-पल की जानकारी ले रहे हैं। वहीं, कई रैयत यह शिकायत कर रहे हैं कि उनके चक (जमीन का टुकड़ा) का सर्वेक्षण हो चुका है, लेकिन उनका दखल जमीन पर नहीं है। यह स्थिति उन रैयतों के लिए उलझन पैदा कर रही है कि वे किस जमीन के लिए प्रपत्र भरें।
बिहार में चल रहे विशेष भूमि सर्वेक्षण अभियान का उद्देश्य जमीन से जुड़े विवादों को सुलझाना और दस्तावेजों को नियमित करना है। हालांकि, संसाधनों की कमी, दाखिल-खारिज की समस्याएं और अधिकारियों की सुस्त गति रैयतों के लिए यह अभियान परेशानी का कारण बन रहा है। रैयतों को इस प्रक्रिया के दौरान काफी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं, जिससे अभियान की प्रगति प्रभावित हो रही है।