पटना : बिहार के निगरानी विभाग ने राज्य सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस नीति को सशक्त और प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। आज, सूचना एवं जन-संपर्क विभाग, पटना के संवाद कक्ष में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता प्रधान सचिव श्री अरविन्द कुमार चौधरी ने की। इस दौरान श्री चौधरी ने विभाग की उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं पर विस्तार से जानकारी दी।
निगरानी विभाग का उद्देश्य राज्य प्रशासनिक व्यवस्था को भ्रष्टाचार और कदाचार से मुक्त करना है, और इस दिशा में विभाग ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। 26 फरवरी 1981 को गठित इस विभाग ने भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कई प्रभावी निगरानी प्रणालियाँ स्थापित की हैं, ताकि राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार को नियंत्रित किया जा सके। वर्तमान में विभाग सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत कार्य कर रहा है, जिसका उद्देश्य लोक निधि का दुरुपयोग रोकना और लोक निर्माण कार्यों में गुणवत्ता सुनिश्चित करना है।
विभाग की प्रमुख उपलब्धियाँ
1. विशेष निगरानी न्यायालय:
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत राज्य में तीन विशेष निगरानी न्यायालय काम कर रहे हैं – पटना, मुजफ्फरपुर और भागलपुर। इन न्यायालयों में विशेष लोक अभियोजक कार्यरत हैं और वे भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की त्वरित सुनवाई कर रहे हैं। इसके अलावा, बिहार विशेष न्यायालय अधिनियम, 2009 के तहत राज्य में छह विशेष न्यायालय काम कर रहे हैं, जिनमें से दो पटना, दो मुजफ्फरपुर और दो भागलपुर में हैं।
2. ऑनलाइन पोर्टल की शुरुआत:
विभाग ने एक पोर्टल विकसित किया है जो NIC (नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर) के माध्यम से कार्य कर रहा है। इस पोर्टल पर सभी प्राप्त परिवादों को अपलोड किया जा रहा है, और भविष्य में विभागों और जिलों को परिवाद भेजने और उनका अनुश्रवण इस पोर्टल के माध्यम से किया जाएगा। यह कदम निगरानी प्रणाली को और सशक्त और पारदर्शी बनाएगा।
3. विभागीय और जिला स्तरीय निगरानी:
निगरानी विभाग ने विभागीय और जिला स्तरीय निगरानी कोषांगों को सशक्त बनाने के लिए कई पहल की हैं। इन कोषांगों को अधिक प्रभावी और कार्यक्षम बनाने के लिए विभाग ने उन्हें विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके अलावा, जिला स्तर पर उड़नदस्ता दलों के साथ भी बैठकें आयोजित की जा रही हैं।
निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की कार्रवाई
1. प्राथमिकी और जब्ती:
निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने 1 जनवरी 2024 से 31 अक्टूबर 2024 तक कुल 13 प्राथमिकी दर्ज की हैं। इनमें से 6 ट्रैप कांड हैं और 5 मामले पद के भ्रष्ट दुरुपयोग से संबंधित हैं। इसके अलावा, 3.18 लाख रुपये नकद और 5.88 लाख रुपये मूल्य के आभूषण की बरामदगी की गई है। ट्रैप कांडों में 4.89 लाख रुपये की रिश्वत भी बरामद की गई है।
2. अवैध संपत्ति की जब्ती:
निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने 13 मामलों में कुल 15.75 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति जब्त की है। इस दौरान, विभाग ने 21 कांडों में अभियोजन स्वीकृति प्राप्त की और आरोप पत्र विशेष न्यायालय में समर्पित किए।
3. शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जाँच:
निगरानी विभाग ने नियोजित शिक्षकों के शैक्षणिक और प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच के मामले में भी महत्वपूर्ण कार्रवाई की है। इस दौरान 94 अभियुक्तों के खिलाफ जांच करवाई गई और कुल 94 कांडों को संबंधित जिलों में अंकित किया गया है।
विशेष निगरानी इकाई और तकनीकी कोषांग की भूमिका
1. विशेष निगरानी इकाई:
2024 में अब तक विशेष निगरानी इकाई द्वारा 6 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं और 52 कांडों की जांच की जा रही है। इस इकाई ने रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ने के मामलों में भी कार्रवाई की है और 12 कांडों में राज्यसात की कार्रवाई की गई है।
2. तकनीकी परीक्षक कोषांग:
निगरानी विभाग के तकनीकी परीक्षक कोषांग ने वर्ष 2024 में 38 भवन मूल्यांकन मामलों में मूल्यांकन रिपोर्ट समर्पित की है। इस कोषांग की महत्वपूर्ण भूमिका निर्माण कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और कार्यों की औचक जांच में है।
भविष्य की योजनाएँ
निगरानी विभाग ने आगे की कार्रवाई के लिए कई योजनाएँ बनाई हैं। विभागीय और जिला स्तरीय निगरानी को और सशक्त बनाने के साथ-साथ भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों की जाँच के लिए एक प्रभावी ऑनलाइन प्रणाली का संचालन किया जाएगा। विभाग ने यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और जनता की शिकायतों का त्वरित समाधान किया जाएगा।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में निगरानी विभाग के प्रधान सचिव श्री अरविन्द कुमार चौधरी के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों जैसे अपर महानिदेशक श्री पंकज कुमार दराद, पुलिस महानिरीक्षक श्रीमती एस. प्रेमलथा, संयुक्त सचिव श्री रामा शंकर और श्रीमती अंजु सिंह भी उपस्थित थे।