Railway News : बिहार के पूर्व मध्य रेलवे (ईसीआर) में भ्रष्टाचार का बड़ा खुलासा हुआ है। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) ने रेलवे में रिश्वतखोरी और अनियमितता के आरोप में ईसीआर पटना के डिप्टी एफए और सीएओ (निर्माण) अनुराग गौरव, ईसीआर के अधिकारी विकास कुमार और आनंद राज इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अभिषेक कुमार सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इन तीनों पर 15 करोड़ रुपये के रेलवे टेंडर में अनुचित लाभ पहुंचाने और रिश्वत लेने का आरोप है। एफआईआर में अन्य अज्ञात व्यक्तियों को भी आरोपी बनाया गया है।
सीबीआई की एफआईआर के अनुसार, आरोपी अधिकारियों ने मेसर्स आनंद राज इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड को अनुचित लाभ देने के लिए आपराधिक साजिश रची। आरोप है कि रिश्वत लेने के एवज में इन अधिकारियों ने इस कंपनी को मंजूरी पत्र (एलओए) और टेंडर की स्वीकृति दिलवाई। अधिकारियों पर यह आरोप है कि उन्होंने टेंडर की प्रक्रिया को अपने पक्ष में करने के लिए अनियमितताओं का सहारा लिया और कंपनी से घूस ली। मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई ने डीएसपी अमित कुमार को जांच की जिम्मेदारी सौंपी है।
टेंडर प्रक्रिया में हेरफेर का आरोप
जानकारी के अनुसार, पूर्व मध्य रेलवे (ईसीआर) हाजीपुर के 15 करोड़ रुपये के एक टेंडर की प्रक्रिया में हेरफेर किया गया। डिप्टी एफए और सीएओ (निर्माण) अनुराग गौरव, ईसीआर के अधिकारी विकास कुमार और आनंद राज इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अभिषेक कुमार सिंह के बीच इस टेंडर को लेकर सौदा तय हुआ था। एफआईआर के अनुसार, अनुराग गौरव ने नौ अक्टूबर को अभिषेक कुमार सिंह से व्यक्तिगत रूप से मिलने का निर्देश दिया और निर्धारित रिश्वत की मांग की। इसके बाद उसी दिन अभिषेक ने गौरव से पटना स्थित उनके कार्यालय में मुलाकात की।
सीबीआई के मुताबिक, नौ अक्टूबर को हुई इस मुलाकात के बाद अनुराग गौरव ने ईसीआर के अधिकारी विकास कुमार को पार्टी के पक्ष में एलओए जारी करने और टेंडर बोली की स्वीकृति से संबंधित कार्यवाही पूरी करने को कहा। विकास कुमार को बताया गया कि पार्टी द्वारा प्रस्तुत निविदा स्वीकार कर ली गई है और कंपनी को मंजूरी पत्र (एलओए) जारी कर दिया गया है। अनुराग गौरव ने अभिषेक कुमार सिंह को अन्य आवश्यक मांगों को पूरा करने के लिए पटना में उनसे मिलने का निर्देश भी दिया था।
सीबीआई की कार्रवाई
सीबीआई ने इस मामले में विस्तृत जांच शुरू कर दी है। डीएसपी अमित कुमार के नेतृत्व में अब जांच टीम सभी दस्तावेजों और संबंधित लोगों से पूछताछ करेगी। अधिकारियों पर लगे भ्रष्टाचार के इन गंभीर आरोपों से रेलवे में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का एक नया पहलू सामने आया है, जो रेलवे विभाग के भीतर अनुशासन और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।