सरकारी विद्यालय: बिहार के सरकारी विद्यालयों में एक नया बदलाब देखने को मिलेगा, जब से एसीएस केके पाठक नवीन प्रयासों की ओर अपना कदम बढ़ाए हैं। पिछले कुछ सालों से, सरकारी विद्यालयों के भवनों की मरम्मत और अद्यतन के लिए वित्तपोषित करने के साथ ही, नए शिक्षण सत्र से ही बच्चों के लिए बेंच और डेस्क की व्यवस्था की गई है। अब, इन स्कूलों को और एक नए प्रयोग की ओर ले जाने की तैयारी चल रही है।
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बिहार के 70 हजार सरकारी विद्यालयों के साथ, एक नया प्रयोग शुरू किया जा रहा है। शिक्षा विभाग द्वारा, सभी स्कूलों के नाम परिवर्तन की योजना बनाई गई है। यह प्रक्रिया लोकसभा चुनाव के बाद शुरू की जाएगी, और अगर सब कुछ ठीक रहा, तो इसी सत्र में स्कूलों का नाम बदला जाएगा। बिहार के नवसृजित प्राथमिक और उत्क्रमित मध्य विद्यालयों का नाम बदलने की योजना बन रही है। इन स्कूलों के नाम राजकीय या देश और राज्य के महापुरुषों के नाम पर रखे जाएंगे।शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को नवसृजित और उत्क्रमित विद्यालयों के लिए देश और राज्य के महापुरुषों के नामों की सूची तैयार करने को कहा है, और इसके लिए शिक्षा विभाग के अधिकारी सभी 38 जिलों से जानकारी जुटा रहे हैं। एक अन्य महत्वपूर्ण कारण इस प्रक्रिया के पीछे यह भी है कि ई-शिक्षा कोष और यू-डायस पोर्टल में इन स्कूलों के नामों को एंट्री करते समय काफी परेशानी होती है।
इस परेशानी को देखते हुए, शिक्षा विभाग ने स्कूलों का नाम बदलने का निर्णय लिया है। इस प्रकार, इन स्कूलों के नए नाम ई-शिक्षा कोष और यू-डायस पोर्टल पर एंट्री की जाएगी, और वे उसी नाम से जाने जाएंगे। यह नए परिवर्तन बिहार के शिक्षा व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, जो विद्यार्थियों के लिए और भी सुविधाजनक और प्रभावी शिक्षा सुनिश्चित कर सकता है।