कविता
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कविता; देवदूत डाक्टर
परिवार नहीं देखा तुमने ! संसार नहीं देखा तुमने !! हर घर की ख़ुशियाँ बनी रहें , घर बार नहीं…
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Poetry; शायद तुम ही हो
नदियों की कलकल में तुम हो सागर की छल छल में तुम हो, देख रही हूं लहर लहर के– यौवन…
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Kavita : विडंबना
प्रकृति ने भी मचाया होगा हाहाकार कलियों का करने से पहले श्रृंगार सोच में डूबा हुआ सा चिंतन करता बारंबार…
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मेरे जज़्बात कविता – मेघदूत प्रदीप
एक तस्वीर खींचनी है मुझे, अपने सोए हुए जज्बातों की । एक तस्वीर खींचनी है मुझे, अपने ठहरे हुए भावों…
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आसाँ नहीं किसी के दिल में जगह बनाना – श्वेता साँची
खुद को तबाह कर के आखिर ये हम ने जाना , आसां नहीं किसी के दिल में जगह बनाना झोली…
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लोग फ़रिश्ते लगते थे – विनोद कुमार
राह ग़लत जाते ही घर के सब समझाने लगते थे। दौर भी वो कितना सुंदर था लोग फ़रिश्ते लगते थे।…
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ख़ुद मुझे अपनी कहानी से जुदा होना पड़ा – दीपशिखा ‘सागर’
लफ्ज़ ए उल्फ़त के मआनी से जुदा होना पड़ा, मिसरा ए ऊला को सानी से जुदा होना पड़ा। तितलियाँ हँस…
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नारी पत्थर नहीं – डॉ शेफालिका वर्मा
नारी पत्थर की देवता नही जो पूजे जाते हैं कहीं भी चंदन रोली लगा मंत्र बुदबुदा देते हैं पूजा हो…
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