Gunjan
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नज़्म; फिर ना आओ तो कोई गम नही
आ जाओ मेरे पहलू में, आखरी बार ! फिर ना आओ तो कोई गम नहीं । समेट लूँ तेरे गजरे…
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मन चंचल
मन क्या चाहे कोई ना जाने मन की बाते मन ही जाने मन चाहे फूलो सा खिलना मन चाहे बगिया…
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