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“भारत के विकास में चुनौतियां: विश्व बैंक की कड़ी चेतावनी”

भारत के विकसित राष्ट्र बनने की राह में बड़ी चुनौतियां विश्व बैंक की कड़ी चेतावनी.

फोटो सभार TV9

भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य लेकर चल रहा है, लेकिन इस मार्ग में इसे एक बड़ी चेतावनी मिली है। विश्व बैंक की एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत ने समय रहते बड़े सुधारों को लागू नहीं किया, तो उसे अमेरिका की मौजूदा प्रति व्यक्ति आय के एक चौथाई स्तर तक पहुंचने में 75 वर्ष लग सकते हैं। यह टिप्पणी विशेष रूप से प्रति व्यक्ति आय के संदर्भ में की गई है, जो विकासशील देशों की सबसे बड़ी चुनौती है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की मौजूदा आर्थिक स्थिति और विकास दर, विशेषकर कम आय वाले देशों के समूह में बनाए रखा है, ये इसे अपने विकास के लक्ष्य से और भी दूर कर सकती है।

विश्व बैंक ने भारत की धीमी आर्थिक प्रगति के पीछे कई प्रमुख कारणों का उल्लेख किया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बहुत बड़ी संख्या में गैर-उत्पादक कंपनियां हैं, जो आर्थिक विकास में रुकावट डालती हैं। इन कंपनियों की कार्यशैली और कार्यक्षमता में सुधार लाने की आवश्यकता है। दूसरे प्रमुख कारण के रूप में, भारत में महिलाओं को श्रम बाजार से बाहर रखा गया है। महिलाओं की श्रम शक्ति में भागीदारी बढ़ाने से न केवल जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा उत्पादक श्रेणी में जुड़ सकता है, बल्कि इससे अर्थव्यवस्था को भी तीव्र गति मिलेगी। तीसरी समस्या, जो भारत की विकास यात्रा में अवरोध डाल रही है, वह है ऊर्जा की उच्च लागत।

ऊर्जा की कीमतें भारतीय उद्योगों के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी हैं, क्योंकि इससे उत्पादन लागत में वृद्धि होती है और कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित होती है। इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत पर विदेशी कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। कोविड-19 महामारी के बाद से इस कर्ज में तेज़ी से वृद्धि हुई है, जो आगे चलकर विकास के मार्ग में अत्यधिक बाधा डालेगी। साथ ही, वैश्विक भू-राजनैतिक तनाव और व्यापारिक संरक्षणवाद का बढ़ता प्रभाव भी भारत की आर्थिक प्रगति में अवरोध डाल सकता है। विशेष रूप से विकसित देशों की संरक्षणवादी नीतियां भारत जैसे विकासशील देशों के लिए एक चुनौती बन सकती हैं।

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रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि कम आय वाले देशों के लिए आर्थिक प्रगति करना दिन-प्रतिदिन कठिन होता जा रहा है। भारत, जो अभी भी कम आय वाले देशों के समूह में आता है, उस समूह से बाहर निकलने के लिए कई संरचनात्मक बदलावों की आवश्यकता है। भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उसकी प्रति व्यक्ति आय, 2022 में केवल 2,393 डॉलर थी, जो कि अमेरिका की प्रति व्यक्ति आय 37,683 डॉलर से बहुत ही कम थी। इस अंतर को पाटने के लिए भारत को अपनी आर्थिक गतिविधियों को तेज़ी से बढ़ाना होगा, और इसके लिए जरूरी है कि भारत दीर्घकालिक और संरचनात्मक सुधारों को लागू करे। यदि भारत को 2047 तक एक विकसित देश बनना है, तो सबसे पहले इसे अपनी महिला आबादी की भागीदारी श्रम शक्ति के रूप में तीव्र गति से बढ़ना होगा।

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महिलाओं की कामकाजी शक्ति में भागीदारी न केवल भारत के GDP में योगदान बढ़ाएगी, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी यह बहुत महत्वपूर्ण होगा। महिलाओं को श्रम बाजार में बराबरी का अवसर देना, उनके लिए काम करने की परिस्थितियों में सुधार लाना और उन्हें शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण में निवेश करने से समग्र आर्थिक विकास में गति मिलेगी। इसके अलावा, उत्पादकता में सुधार भी बहुत जरूरी है। भारतीय उद्योगों विशेष रूप से छोटे और मध्यम वर्ग के उद्योगों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए इन्हें नई तकनीकी और सटीक मैनजमेंट प्रणालियों को अपनाने की आवश्यकता है। यह कदम भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूत करेगा और उसकी उत्पादकता को बेहतर बनाएगा भारत को अपनी ऊर्जा नीति पर भी गंभीरता से विचार करना होगा।

उच्च ऊर्जा लागत उद्योगों की विकास दर को रोकती है और यह सरकार के लिए एक बड़ा आर्थिक बोझ बन सकता है। भारत को न केवल ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ाने होंगे, बल्कि ऊर्जा की खपत को भी अधिक दक्षता के साथ नियंत्रित करना होगा। भारत को अपनी आर्थिक नीतियों में स्थिरता बनाए रखनी होगी। नीति में अस्थिरता और अनिश्चितता से निवेशकों में भय होता है, जो आर्थिक विकास में बाधा डालता है। भारत को न केवल घरेलू निवेश को बढ़ावा देना होगा, बल्कि उसे वैश्विक निवेशकों के लिए भी आकर्षक नीति बनाना होगा।

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इसके लिए कारोबारी माहौल में सुधार, भ्रष्टाचार पर काबू और बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता है। भारत के पास अभी भी वैश्विक और घरेलू स्तर पर अपनी विकास यात्रा को बेहतर बनाने का एक सुनहरा अवसर है। हालांकि, इसके लिए देश को एक आपातकालीन स्थिति के तौर पर अपनी नीतियों पर विचार करना होगा। यदि भारत को 2047 तक एक विकसित देश बनना है, तो उसे बड़े सुधारों के जरिए अपने विकास के ढांचे को मजबूती से बदलना होगा। महिलाओं को रोजगार के समान अवसर देने की आवश्यकता होगी।

इसके साथ ही उत्पादकता में सुधार, ऊर्जा लागत में कमी, और निवेश को बढ़ावा देने के साथ-साथ नीतिगत स्थिरता को सुनिश्चित करना होगा। इन प्रयासों के साथ ही भारत अपने विकास लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक समृद्ध और आत्मनिर्भर राष्ट्र का निर्माण कर सकता है।

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