कोरोना ने जनगणना पे लगाई ब्रेक
कोरोना से देश में बहुत चीजों पर रोक लगा दी गयी है. देश में पहली बार जनसंख्या की गिनती नहीं हो पाई है. कोरोना की वजह से 120 साल बाद दशकीय जनगणना पर ब्रेक लग गया है. 2019 से ही जनगणना की तैयारी शुरू की गयी थी. कोरोना के कारण जनगणना की सभी तैयारियां धरी रह गयीं. गौरतलब है कि बिहार में 1901 से लगातार प्रत्येक दस साल पर जनगणना होती आ रही है.
2011 में जनगणना कराई गई थी.
वर्ष 2021 गुजर गया और 10 वर्षों के बाद होनेवाली जनगणना नहीं हुई. जनगणना से देश व राज्यों की वृद्धि दर के साथ अन्य सभी विकास के आंकड़ों की सूचनाएं मिलती हैं. यह एक प्रकार का दृष्टिपत्र है जो पहली बार कोरोना महामारी की भेंट चढ़ गया. अब भारत सरकार जनगणना के अनुमानित आंकड़े जारी कर सकती है. जनगणना होती, तो सरकार के पास 34 प्रकार की सूचनाएं उपलब्ध हो जातीं.
2011 तक भारत की जनगणना 15 बार की जा चुकी है. जनगणना नहीं होने से कई नुकसान भी होंगे. सरकारों को इससे विकास के आंकड़े मिलते हैं. सरकार अपनी नीतियां बनाती है. अब जनगणना न होने से सरकार अनुमानित आंकड़े जारी कर सकती है.
दरअसल, कोरोना के खिलाफ जारी टीकाकरण की वजह से केंद्र सरकार को टीका लगाने वाले 84.67 करोड़ वयस्कों (18+) की सटीक जानकारी मिल चुकी है. अब 15 से 18 साल के किशोरों का वैक्सीनेशन शुरू हो रहा है. इससे सरकार को लगभग पूरी आबादी की संख्या का अंदाजा हो जाएगा. इसलिए सरकार का मानना है कि जनगणना को 2031 तक टालने से कोई खास नुकसान नहीं होगा.