Religious : श्रावण मास में आशुतोष भगवान शंकर की पूजा का विशेष महत्व है। श्रावण मास में जो प्रत्येक दिन पूजन ना कर सकें उन्हें सोमवार को शिव पूजा अवश्य ही करनी चाहिए और व्रत भी रखना चाहिए। सोमवार भगवान शंकर का प्रिय दिन है अतः सोमवार को शिव आराधना रुद्राभिषेक इत्यादि जो शिव का विशेष पूजन है प्रत्येक व्यक्ति को अवश्य ही करनी चाहिए।
इसी प्रकार मासों में श्रावण मास भगवान शंकर को विशेष प्रिय है। श्रावण मास में जितने भी सोमवार पढ़ते हैं उन सब में शिवजी का व्रत उपवास किया जाता है। इस बार दिनांक 17 जुलाई से मलमास भी पड़ रहा है। मलमास वा अधिक मास अर्थात पुरुषोत्तम मास परने के कारण इस बार श्रावण मास 2 महीने का हो गया है । यह संजोग 19 वर्ष के बाद प्राप्त हो रहा है। निश्चित रूप से शिव भक्तों के लिए यह 2 मास का श्रावण विशेष मनोरथ की प्राप्ति कराने के लिए ही ऐसा संजोग बना हुआ है।
16 अगस्त को मलमास का विश्राम हो जाएगा एवं 7 जुलाई से नविवाहिताओं का विशेष पर्व मधुश्श्रा वणी व्रत शुभारंभ और 19अगस्त को विश्राम हो जाएगा।तथा 21 अगस्त को नाग पंचमी और 23 अगस्त को शीतला पूजा होंगे। इसवार दो महीने के श्रावण मास में 8सोमवार का योग बनता है। वैसे तो श्रावण मास का प्रत्येक दिन शिव पूजा के लिए सर्वोत्तम माना गया है। उसमे से 8 सोमवार परने से शिव भक्तों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
द्वितीय श्रावण कृष्ण पक्ष 2 अगस्त से आरंभ कर द्वितीय श्रावण शुक्ल पक्ष यानि 31 अगस्त तक श्रावणी पूर्णिमा तक रक्छाबन्धन पर्व के साथ श्रावण मास विश्राम हो जायेंगे। प्रथम सोमवार व्रत दिनांक 10 जुलाई तक। दूसरा सोमबार का व्रत दिनांक 17 जुलाई को, तीसरा सोमवार व्रत 24 जुलाई को, चौथा सोमवार व्रत दिनांक 31 जुलाई को, पांचवां सोमवार व्रत दिनांक 7अगस्त को, छठा सोमवार व्रत दिनांक 14 अगस्त को, सातवां सोमवारी व्रत दिनांक 20 अगस्त को नाग पंचमी के साथ तथा आठवां एवं अंतिम सोमवारी व्रत दिनांक 28 अगस्त को विश्राम हो जाएगा।
विशेष ___ द्वितीय श्रावण कृष्ण पक्ष : दिनांक 2अगस्त से दिनांक 17 अगस्त तक मलमास ही रहेंगे, मलमास से अतिरिक्त सोम जो शुद्ध सोम होगा वह दो ही बचे रहेंगे। दिनांक 21अगस्त को एवं 28 अगस्त को। श्रावण मास में की गई कोई भी साधना पूर्ण फलदायक होती ही है, क्योंकि इस मास का प्रत्येक दिवस शुभकामनाओं सिद्धि प्रदायक अमृत महोत्सव की गरिमा को अपने अंदर समेटे हुए होता है ।
श्रावण मास भूत भावन भोलेनाथ का मांस है ।इसे इस पूरे मास में यदि पूर्ण श्रद्धा एवं विधि पूर्वक दूध, दही ,घृत ,मधु,पंचामृत, बिलिपत्र, आंक के फूल, पत्र ,पुष्प फल ,आदि के द्वारा पूजा आराधना किया जाए तो निश्चित रूप से भक्तों की समस्त मनोवांछित फल पूर्ण होते हैं ।श्रावण मास में शिव की कृपा तो प्राप्त होती ही है उसके साथ साथ व्यक्ति पर पूर्ण जीवन काल तक लक्ष्मी जी की कृपा भी बनी रहती है , क्योंकि मां पार्वती स्वयं अन्नपूर्णा लक्ष्मी स्वरूपा हैं । यदि जीवन में सुख प्राप्त करना हो तो श्रावण मास में शिव पूजन अवश्य ही करनी चाहिए।