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बिहार में इंजीनियरों को देना होगा शपथ पत्र, रिश्तेदारों की ठेकेदारी पर रोक’

Patna : बिहार में पथ निर्माण विभाग ने विभागीय कार्यों में पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से इंजीनियरों के लिए एक नया फरमान जारी किया है। विभाग ने सभी इंजीनियरों से शपथ पत्र लेने का निर्णय लिया है, जिसमें उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके परिवार के किसी भी सदस्य या रिश्तेदार का उनके कार्य क्षेत्र में ठेकेदारी से कोई संबंध नहीं है। इस आदेश का अनुपालन सख्ती से कराने के लिए बिहार राज्य पुल निर्माण निगम, बिहार राज्य पथ विकास निगम, राष्ट्रीय उच्च पथ प्रभाग और यांत्रिक उपभाग में कार्यरत सभी इंजीनियरों को यह निर्देश भेजा गया है।’

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पथ निर्माण विभाग के अभियंता प्रमुख (मुख्यालय) द्वारा जारी इस निर्देश में सभी अधीक्षण अभियंताओं और कार्यपालक अभियंताओं को अपने अधीनस्थ इंजीनियरों से शपथ पत्र लेकर 10 दिनों के भीतर विभाग को उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है। शपथ पत्र के लिए एक तय प्रारूप दिया गया है, जिसमें इंजीनियरों को स्टाम्प पेपर पर यह वचन देना होगा कि उनके परिवार के सदस्य जैसे माता-पिता, पत्नी, बेटा-बेटी, भाई-भतीजा आदि उनके कार्यक्षेत्र में ठेकेदारी या किसी तरह के निर्माण कार्य में शामिल नहीं हैं। इसके अलावा, यदि उनके परिवार के सदस्य ठेकेदारी से जुड़े हैं तो वे अपनी पूरी जानकारी के साथ इस तथ्य को शपथ पत्र के माध्यम से प्रस्तुत करेंगे, और स्पष्ट करेंगे कि उनकी इस कार्य में कोई प्रत्यक्ष सहभागिता नहीं है।

बिहार के उपमुख्यमंत्री और पथ निर्माण मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने हाल ही में हुई एक समीक्षा बैठक में यह निर्णय लिया था कि इंजीनियरों से शपथ पत्र लेना अनिवार्य किया जाए। विभाग का मानना है कि इस कदम से सरकारी परियोजनाओं में रिश्तेदारों के माध्यम से होने वाली अनियमितताओं पर रोक लग सकेगी। प्राप्त शपथ पत्रों की जांच भी विभागीय स्तर पर की जाएगी। अगर किसी इंजीनियर के शपथ पत्र में दिए गए तथ्यों में असत्य पाया गया, या यह सिद्ध हुआ कि उनके कार्यक्षेत्र में उनके किसी रिश्तेदार को ठेका दिया गया है, तो उस इंजीनियर को तत्काल प्रभाव से वहां से हटा दिया जाएगा।

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मुख्य अभियंता को इस आदेश का सख्ती से अनुपालन करने का निर्देश दिया गया है। विभाग का कहना है कि इस कदम से सरकारी परियोजनाओं में होने वाले कार्यों की गुणवत्ता और विश्वसनीयता बढ़ेगी। विभागीय परियोजनाओं में पारदर्शिता लाने के लिए यह एक सख्त, लेकिन आवश्यक कदम है।

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