गुजरात में नकली जज का पर्दाफाश: 100 एकड़ सरकारी जमीन हड़पी
गुजरात में नकली जज का पर्दाफाश: फर्जी कोर्ट लगाकर 100 एकड़ सरकारी जमीन हड़पी
गुजरात : गुजरात में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक शख्स ने फर्जी ट्रिब्यूनल (न्यायाधिकरण) बनाकर खुद को जज बताया और पांच साल तक लोगों को धोखा देते हुए अरबों रुपए की सरकारी जमीन अपने नाम कर ली। इस आरोपी का नाम मॉरिस सैमुअल है, जिसने गांधीनगर में स्थित अपने ऑफिस को एक असली अदालत का रूप देकर लोगों से धोखाधड़ी की। अहमदाबाद पुलिस ने मॉरिस को इस फर्जीवाड़े के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
मॉरिस सैमुअल खुद को एक ऑर्बिट्रेटर (मध्यस्थ) के रूप में प्रस्तुत करता था। उसने अपने कार्यालय को अदालत की तरह सजाया और वहां आने वाले लोगों को यह विश्वास दिलाया कि वह एक सरकारी नियुक्त मध्यस्थ है। वह गांधीनगर स्थित अपने ऑफिस में असली अदालत जैसा माहौल तैयार करता, जिसमें वकील और अदालत के कर्मचारी की भूमिका निभाने के लिए उसके साथी भी मौजूद रहते थे। यह सब देखने में एक वास्तविक न्यायिक प्रक्रिया जैसा लगता था।
मॉरिस खासकर उन लोगों को निशाना बनाता था, जिनके जमीनी विवादों के मामले शहर के सिविल कोर्ट में लंबित होते थे। वह अपने मुवक्किलों से केस सुलझाने के नाम पर फीस वसूलता और फिर अपने फर्जी ट्रिब्यूनल के जरिए उनके पक्ष में आदेश जारी करता। इस तरकीब से उसने 11 से ज्यादा मामलों में अपने मुवक्किलों के पक्ष में आदेश पारित करवा दिए थे। उसने 100 एकड़ से अधिक सरकारी जमीन पर दावा कर उसे अपने नाम करने की कोशिश की थी।
कैसे हुआ खुलासा?
मॉरिस की धोखाधड़ी का खुलासा तब हुआ, जब उसने 2019 में अपने मुवक्किल के पक्ष में एक सरकारी जमीन के विवाद से जुड़े आदेश पारित किया था। मामला अहमदाबाद के पालडी इलाके में स्थित सरकारी जमीन से जुड़ा था, जिसे मॉरिस ने अपने मुवक्किल के नाम पर दर्ज कराने की कोशिश की। उसने यह दावा किया कि उसे सरकार ने इस जमीन के मामले में मध्यस्थ नियुक्त किया है और अपने फर्जी ट्रिब्यूनल के जरिए आदेश जारी कर दिया।
मॉरिस ने उस आदेश को लागू कराने के लिए सिविल कोर्ट में अपील भी दायर की। इस अपील में उसने उसी आदेश को संलग्न किया, जो उसने अपने फर्जी ट्रिब्यूनल से जारी किया था। लेकिन सिविल कोर्ट के रजिस्ट्रार हार्दिक देसाई को जांच के दौरान पता चला कि न तो मॉरिस सरकारी मध्यस्थ है और न ही उसका आदेश कानूनी रूप से वैध है। इसके बाद रजिस्ट्रार देसाई ने करंज पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मॉरिस को गिरफ्तार कर लिया और उसकी फर्जी अदालत का भंडाफोड़ कर दिया।
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गुजरात में पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे मामले
गुजरात में फर्जीवाड़े का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले 2023 में किरण पटेल नामक एक व्यक्ति का मामला सुर्खियों में रहा था, जिसने खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) का वरिष्ठ अधिकारी बताकर लोगों से धोखाधड़ी की थी। किरण पटेल ने अपनी पहचान छिपाकर मंत्री के बंगले पर कब्जा कर लिया था और फर्जी कागजात के जरिए उसे अपने नाम कर लिया था। वह Z+ सुरक्षा के साथ बुलेटप्रूफ SUV में चलता था और फाइव स्टार होटलों में ठहरता था। पुलिस ने जांच के बाद किरण पटेल और उसकी पत्नी मालिनी के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था।
धोखाधड़ी से उठे सवाल और सख्त कार्रवाई की मांग
मॉरिस सैमुअल के मामले ने न्यायिक प्रक्रिया और कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पांच साल तक चलने वाले इस फर्जीवाड़े ने प्रशासन और संबंधित विभागों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं। पुलिस की समय पर की गई कार्रवाई से इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ, लेकिन इसे रोकने में हुई देरी से सवाल उठना लाजमी है।
राज्य सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मॉरिस सैमुअल के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश दिया है। इस मामले के बाद प्रशासन अब जमीन विवाद से जुड़े मामलों में फर्जी मध्यस्थों के खिलाफ कड़ी जांच और निगरानी की बात कह रहा है। मॉरिस की गिरफ्तारी से पीड़ित लोगों को थोड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन अब राज्य के अन्य हिस्सों में भी ऐसे फर्जीवाड़ों पर लगाम लगाने की जरूरत है।