Patna : लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन मंगलवार रात दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में हुआ था, जिसके बाद उनका पार्थिव शरीर बुधवार को पटना लाया गया। उनके निधन की खबर से संगीत और कला जगत में शोक की लहर दौड़ गई। गुरुवार को उनके अंतिम संस्कार के दौरान एक भावुक और श्रद्धांजलि से भरपूर माहौल था। शारदा सिन्हा के अंतिम संस्कार की रस्में गुलबी घाट पर पूरी राजकीय सम्मान के साथ निभाई गईं।
गुलबी घाट पर शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस मौके पर परिवार के सदस्य, रिश्तेदार और उनके प्रशंसक बड़ी संख्या में उपस्थित थे। उनके अंतिम संस्कार में बिहार सरकार के कई प्रमुख नेता भी शामिल हुए, जिनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे, पूर्व सांसद रामकृपाल यादव, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा और मंत्री महेश्वर हजारी प्रमुख थे।
शारदा सिन्हा की अंतिम यात्रा उनके राजेंद्र नगर स्थित आवास से शुरू हुई, जहां बड़ी संख्या में लोग श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे। शव यात्रा के दौरान उनका अंतिम संस्कार स्थल गुलबी घाट तक पहुंचते हुए भक्तिमय उद्घोष “शारदा सिन्हा अमर रहें, छठी मइया जय” के नारों से गूंज उठा। शारदा सिन्हा का यह अंतिम संस्कार एक विशिष्ट और भावुक पल था, क्योंकि उनकी इच्छा थी कि जहां उनके पति का अंतिम संस्कार हुआ था, वहां उनका भी अंतिम संस्कार हो। यही कारण था कि उनका अंतिम संस्कार गुलबी घाट पर हुआ।
शारदा सिन्हा को मुख्य रूप से छठ गीतों के लिए जाना जाता था। उनका निधन छठ पूजा के पहले दिन हुआ था, और उनके अंतिम संस्कार के समय कुछ ही घंटों बाद गंगा किनारे लाखों श्रद्धालु संध्या अर्घ्य अर्पित करने के लिए जुटे थे। शारदा सिन्हा के गीत आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं और उनकी आवाज घाटों से लेकर घरों तक गूंजती रहेगी। शारदा सिन्हा का योगदान भारतीय लोक संगीत और विशेष रूप से छठ गीतों में अतुलनीय रहेगा, और उनका निधन एक बड़ी संगीतात्मक क्षति है।