गया में विदेशी तीर्थयात्री पितृमोक्ष के लिए कर रहे पिंडदान
गया में विदेशी श्रद्धालुओं का पिंडदान, कई देशों से पूर्वजों को मोक्ष दिलाने पहुंचे तीर्थयात्री
Gaya : बिहार के गया में इस वर्ष आयोजित विश्व प्रसिद्ध ”पितृपक्ष मेला 2024” के दौरान देश-विदेश से हजारों तीर्थयात्री अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के उद्देश्य से पहुंचे हैं। विशेष रूप से जर्मनी, रूस, नाइजीरिया सहित कई देशों के तीर्थयात्री भी सनातन धर्म के अनुसार पिंडदान (Pinddan) करने के लिए यहां आ रहे हैं। इस मेला में विदेशी श्रद्धालुओं की भागीदारी ने आयोजन को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। गया के देव घाट पर विदेशी महिलाएं और पुरुषों ने पिंडदान किया, जिन्हें पारंपरिक भारतीय परिधान पहने देखा गया।
सनातन धर्म के प्रति बढ़ती आस्था
गया में पहुंची विदेशी महिलाएं भारतीय संस्कृति में पूरी तरह रची-बसी नजर आईं। उन्होंने भारतीय परिधान पहनकर सनातन धर्म के अनुसार पिंडदान की प्रक्रिया पूरी की। कई तीर्थयात्री ईसाई और मुस्लिम धर्म से भी थे, लेकिन सनातन धर्म से प्रभावित होकर उन्होंने भी अपने पूर्वजों के मोक्ष की कामना के लिए पिंडदान किया। इस धार्मिक यात्रा का हिस्सा बने लोगों ने कहा कि वे सनातन धर्म में गहरी आस्था रखते हैं और इसी विश्वास के चलते वे यहां आए हैं।
पितरों को मोक्ष दिलाने की प्राचीन परंपरा
पिंडदान की परंपरा सनातन धर्म में पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए अति महत्वपूर्ण मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि गया में पिंडदान करने से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। यही कारण है कि न केवल भारत से, बल्कि दुनिया भर से लोग यहां पितृमोक्ष की कामना लेकर आते हैं। नाइजीरिया के विष्णु नामक एक तीर्थयात्री ने बताया कि उन्होंने गया के पिंडदान की महत्ता के बारे में सुना था और इसी वजह से वे अपने मित्रों के साथ यहां पहुंचे हैं। उनके साथ कई अन्य देशों के तीर्थयात्री भी शामिल थे, जो अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए पिंडदान कर रहे थे।
गया के पुरोहितों की भूमिका
गया के देव घाट पर स्थानीय पुरोहितों ने विदेशी तीर्थयात्रियों को पिंडदान की प्रक्रिया में मदद की। पुरोहित लोकनाथ गौड़ ने बताया कि इस बार लगभग 15 विदेशी तीर्थयात्री यहां पहुंचे हैं, जिन्होंने पिंडदान की पूरी प्रक्रिया को विधिपूर्वक संपन्न किया। उन्होंने बताया कि इन तीर्थयात्रियों ने माता-पिता, पत्नी, और बच्चों के मोक्ष की कामना के लिए पिंडदान किया। उनके अनुसार, इन विदेशी श्रद्धालुओं में सनातन धर्म के प्रति गहरी आस्था दिखाई दी, जिससे वे पितृपक्ष मेले का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित हुए हैं।
लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति
गया में 17 सितंबर से शुरू हुए पितृपक्ष मेले में इस बार देशभर से लाखों लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करने पहुंचे हैं। अनुमान के मुताबिक, इस बार करीब आठ लाख से ज्यादा श्रद्धालु यहां पहुंचे हैं। यह मेला 2 अक्टूबर तक चलेगा और इस दौरान श्रद्धालुओं की संख्या और भी बढ़ने की संभावना है।
धार्मिक पर्यटन का केंद्र बना गया
गया हमेशा से ही धार्मिक पर्यटन के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल रहा है। पितृपक्ष के दौरान यहां हर साल हजारों श्रद्धालु आते हैं, लेकिन इस बार विदेशी श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या ने इस धार्मिक आयोजन को और भी खास बना दिया है। न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी गया का पितृपक्ष मेला विशेष महत्त्व रखता है।
गया में विदेशी तीर्थयात्रियों की उपस्थिति ने इस बार के पितृपक्ष मेले को और भी खास बना दिया है। सनातन धर्म की परंपराओं और पिंडदान की मान्यताओं में विश्वास जताते हुए विभिन्न देशों के लोग यहां अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पहुंचे हैं। भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का यह अद्भुत संगम पितृपक्ष मेले में देखने को मिल रहा है, जो विश्वभर में सनातन धर्म के प्रति आस्था और सम्मान को दर्शाता है।