गीत

Geet; प्रेम परिणीति

चुन लिया है प्रेम ने हमको प्रिये अब वेदना का,
साथ जन्मों जन्म तक निश्चित रहेगा देख लेना।
इक सरित सी मैं बहूँगी और समुंदर का प्रतिष्ठित देवता आकर स्वयं तुमको गहेगा देख लेना….

त्यागकर ‘मैं’ हम हुई दो आत्माओं के मिलन ने
इक नए इतिहास का अध्याय नव हँसकर लिखा है।
सूर्य की तेजस्विता से हो प्रभावित दीपकों ने,
घोर तम की हर निशा पर दीप्ति प्रणवाक्षर लिखा है।
चंद्रिका से मिल चकोरक प्राण की आकाशगंगा,
में प्रणय का हाथ थामे ही बहेगा देख लेना..

अधमुंदी आंखों में लहराते हुए हर स्वप्न का मन,काँपते होंठों के हर कंपन से चंचल हो गया है।
ईड़ा की बाँहों में आकर फिर किसी श्रद्धा का प्रीतम,
मनु मनोहर भाग्य की संकल्पना में खो गया है।
जन्म मानव का सुनिश्चित सृष्टि का आधार मंडल,
हँस के सर्जन की प्रसव पीड़ा सहेगा देख लेना….

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बांह के कसते वलय में जागती हर प्यास के संग,
कितने ही किरदार जीते आ रहे कल्पों से हम तुम,
तोड़कर सब वर्जनाएं प्रेम की परिपाटियों के अनुसरण में रत स्वयं निर्मित किसी संसार में गुम।
राम सीता, कृष्ण राधा,शक्ति शिव या मीरा गिरधर,
प्रेम लौकिक दाह में तिल तिल दहेगा देख लेना।

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दीपशिखा सागर

Ashok Ashq

Ashok ‘’Ashq’’, Working with Gaam Ghar News as a Co-Editor. Ashok is an all rounder, he can write articles on any beat whether it is entertainment, business, politics and sports, he can deal with it.

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