ग़ज़ल
Ghazal; चोट खाया हुआ
बेसबब आदमी का सताया हुआ
सांप लौटेगा फिर चोट खाया हुआ
लात घूंसो से भूखा शिकम भर गया
हाथ से गिर गया फल चुराया हुआ
शेर में कितनी मुश्किल से ढाला उसे
जे़ह्न में जो था मज़मून आया हुआ
दास्तां वो जहां को सुनाएगा ख़ुद
नक्श उभरेगा फिर से मिटाया हुआ
भूलना हो किसी को तो पढ़िए किताब
है ये नुस्ख़ा मेरा आज़माया हुआ
छोड़ जाए कोई तो कहो अलविदा
फिर से लौटेगा वो तिलमिलाया हुआ
गीत कागज़ पे गुमनाम था मुद्दतों
वायरल हो गया गुनगुनाया हुआ।