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बिहार की नीतीश कुमार सरकार को गिराने के लिए हवाला डील’

बिहार में नीतीश कुमार सरकार को गिराने की साजिश: विधायकों को मंत्री पद, कैश ऑफर और हवाला डील का पर्दाफाश.

Bihar Politics News : बिहार की राजनीति में एक बड़ा खुलासा हुआ है। आर्थिक अपराध इकाई (EOU) की जांच में यह सामने आया है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार को गिराने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त (हॉर्स ट्रेडिंग) की साजिश रची गई थी। इसके तहत सत्तारूढ़ दल के विधायकों को हवाला के जरिए एडवांस में मोटी रकम भेजी गई थी। यह राशि दिल्ली, उत्तर प्रदेश, झारखंड और यहां तक कि नेपाल से भी भेजी गई थी। योजना यह थी कि अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार विश्वास मत (फ्लोर टेस्ट) में हार जाती, तो विधायकों को और अधिक पैसा दिया जाता।

इस साजिश का खुलासा पटना के कोतवाली थाने में दर्ज एक प्राथमिकी के आधार पर EOU की जांच से हुआ। जांच में कई हैरान कर देने वाले सबूत मिले, जिन्हें EOU ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को सौंप दिया है। अब इस केस की तफ्तीश ED द्वारा की जाएगी।

साजिश का मकसद और तरीका
2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार के नेतृत्व में NDA ने सत्ता में वापसी की थी। हालांकि, कुछ समय बाद राजनीतिक उथल-पुथल के चलते नीतीश कुमार ने महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। इसके बाद, 28 जनवरी से 12 फरवरी 2024 के बीच, बिहार की राजनीति में एक और बड़ा उलटफेर हुआ, जब नीतीश कुमार ने महागठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के समर्थन से फिर से NDA सरकार बनाने का दावा पेश किया।

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12 फरवरी को सरकार को विश्वास मत हासिल करना था, और इसी दौरान विधायकों की खरीद-फरोख्त की कोशिशें हुईं। EOU की जांच में सामने आया कि महागठबंधन ने कई साजिशें रचीं ताकि सरकार फ्लोर टेस्ट में विफल हो जाए। इसके तहत विधायकों को मोटी रकम का ऑफर किया गया और उन्हें प्रलोभन दिया गया कि अगर वे फ्लोर टेस्ट में सरकार के खिलाफ मतदान करें या अनुपस्थित रहें, तो उन्हें आगे और पैसे दिए जाएंगे। हवाला के जरिए भेजे गए पैसों के सबूत भी जांच के दौरान सामने आए।

मानवजीत सिंह ढिल्लों का बड़ा खुलासा
EOU के डीआईजी मानवजीत सिंह ढिल्लों के अनुसार, अगर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली NDA सरकार फ्लोर टेस्ट में हार जाती, तो विधायकों को दूसरे राज्यों में हवाला के जरिए पूरी रकम दी जाती। इसके अलावा, जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि सरकार को अस्थिर करने के लिए विधायकों के अपहरण और उन्हें मतदान के लिए प्रलोभन देने के साक्ष्य भी मिले हैं।

महागठबंधन की साजिश का उलटा पड़ना
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान महागठबंधन का दांव उलटा पड़ गया। 28 जनवरी से 12 फरवरी के बीच महागठबंधन ने कई योजनाएं बनाईं ताकि NDA के कुछ विधायकों को फ्लोर टेस्ट से दूर रखा जा सके। राजद के नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव लगातार यह कहते रहे कि “खेला” होने वाला है, लेकिन फ्लोर टेस्ट के दिन महागठबंधन की योजना विफल हो गई।

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जदयू और बीजेपी के कुछ विधायक, जिन्हें महागठबंधन की साजिश के तहत फ्लोर टेस्ट में पहुंचने से रोकने की योजना बनाई गई थी, समय पर विधानसभा पहुंच गए। इसके विपरीत, महागठबंधन के खेमे के तीन विधायक फ्लोर टेस्ट के दौरान NDA के पक्ष में खड़े हो गए। इस तरह, नीतीश कुमार की सरकार को 128 विधायकों का समर्थन मिला, और बहुमत परीक्षण के बाद यह संख्या बढ़कर 130 हो गई।

प्रवर्तन निदेशालय की आगे की जांच
अब यह मामला प्रवर्तन निदेशालय (ED) के हाथों में है। ED हवाला के जरिए लेन-देन और विधायकों को खरीदने के लिए की गई साजिशों की गहन जांच करेगा। EOU ने अपने हाथ लगे सभी सबूत ED को सौंप दिए हैं, जिनमें हवाला के जरिए किए गए अवैध लेन-देन के पुख्ता सबूत भी शामिल हैं। ED अब यह भी जांच करेगी कि फ्लोर टेस्ट के दिन किसने क्या योजना बनाई थी और कैसे कुछ विधायक अंतिम समय में विधानसभा पहुंचे।

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राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस खुलासे के बाद बिहार की राजनीति में हड़कंप मच गया है। जदयू के हरलाखी विधायक सुधांशु शेखर ने इस मामले में EOU की जांच रिपोर्ट की पुष्टि की है और इसे सरकार को गिराने की एक सोची-समझी साजिश करार दिया है। उनका कहना है कि यह एक बड़ा षड्यंत्र था, जो फ्लोर टेस्ट के दिन विफल हो गया।

वहीं, राजद और महागठबंधन की ओर से इस मुद्दे पर कोई ठोस बयान नहीं आया है। हालांकि, तेजस्वी यादव की “खेला” वाली टिप्पणी ने इस पूरे मामले को और अधिक संदेहास्पद बना दिया है। बिहार की राजनीति में इस तरह की साजिशें कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन इस बार EOU और ED की जांच ने इसे एक नया मोड़ दे दिया है।

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