पटना : बिहार सरकार ने सभी जिलों में हेलीपोर्ट निर्माण की योजना पर काम शुरू कर दिया है। इस महत्वाकांक्षी योजना को नागरिक उड्डयन विभाग के तहत वायुयान संगठन निदेशालय ने आगे बढ़ाया है। इसके तहत राज्य के सभी जिलाधिकारियों (डीएम) से ऐसी जगह की मांग की गई है, जहां दो हेलीकॉप्टर एक साथ लैंड और टेकऑफ कर सकें।
हेलीपोर्ट निर्माण की प्रक्रिया
हेलीपोर्ट का निर्माण घनी आबादी से दूर किया जाएगा, जिससे यह सुरक्षित और सुगम हो। इसके साथ ही वहां संपर्क पथ, सेफ हाउस और वेटिंग लाउंज जैसी बुनियादी सुविधाएं भी तैयार की जाएंगी। स्थल का चयन गूगल मैप और ड्रोन की मदद से किया जाएगा ताकि क्षेत्र का नक्शा स्पष्ट दिख सके। हेलीपोर्ट के लिए निजी भूमि का भी उपयोग किया जा सकता है, जिसके लिए प्राधिकरण 15 साल के लिए जमीन पट्टे पर ले सकता है।
खर्च और आकार
एक हेलीपोर्ट बनाने में अनुमानित खर्च 2 से 3 करोड़ रुपये होगा। हेलीपोर्ट का न्यूनतम आकार 40 गुना 40 फीट (1600 वर्गफीट) निर्धारित किया गया है। इसके अलावा, आसपास का क्षेत्र हेलीपोर्ट से कम से कम दोगुना बड़ा होना चाहिए ताकि टेकऑफ और लैंडिंग के दौरान किसी भी प्रकार की बाधा न आए।
आपदा प्रबंधन में अहम भूमिका
हेलीपोर्ट आपदा प्रबंधन के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। बाढ़, आग, भूकंप और अन्य आपातकालीन परिस्थितियों में यह सहायता कार्य को तेज और सुगम बनाएगा। इसके अलावा, यह क्षेत्रीय विकास और परिवहन में भी सहायक होगा।
जिलों में चयन प्रक्रिया जारी
भागलपुर के एडीएम महेश्वर प्रसाद सिंह ने जानकारी दी कि शहर के हवाई अड्डा मैदान में पहले से ही हेलीकॉप्टर उतरता आया है। निदेशालय से हेलीपोर्ट निर्माण को लेकर पत्र प्राप्त हुआ है, जिस पर विचार-विमर्श चल रहा है। अन्य जिलों में भी जमीन की पहचान का काम शुरू हो चुका है।
बिहार के लिए बड़ी पहल
यह योजना राज्य के बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ बनाने और आपातकालीन सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल आपदा प्रबंधन में मदद करेगा, बल्कि राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास को भी गति देगा।