बिहार में सतुआन और जुड़ शीतल का महत्व और कब है…
बिहार में सतुआन और जुड़ शीतल... दक्षिण भारत में विषु कानी नाम से मनाया जाता है यह पर्व...
सतुआन और जुड़ शीतल : सतुआन (Satuani) उत्तरी भारत के कई राज्यों में मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है। यह पर्व गर्मी के आगमन का संकेत देता है और मेष संक्रांति के दिन मनाया जाता है। इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है और भगवान को सत्तू के रूप में भोग अर्पित किया जाता है। सत्तू का प्रसाद खाया जाता है और इस त्यौहार को बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल हिस्सों में मनाया जाता है। मिथिलांचल में इसे जुड़ शीतल (Jur Sital) के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि मिथिला (Mithila) में इस दिन से ही नए साल की शुरुआत होती है।
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यह पर्व समृद्धि और सम्पत्ति की कामना के साथ आता है और लोग इसे उत्साह से मनाते हैं। इसके अलावा, यह पर्व समाज में सामूहिकता और एकता को बढ़ावा देता है और लोग एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं। सतुआन और जुड़ शीतल का महत्व अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक है, जहां लोग इसे धूमधाम से मनाते हैं और इस अवसर पर विभिन्न खेल और परंपरागत गीत गाते हैं। यह पर्व सत्तू, गुड़, दही, और अन्य भोजनों के साथ मनाया जाता है और समुदाय के सदस्यों को खास रूप से बुलाया जाता है।
इस पर्व के माध्यम से लोग अपने समुदाय में संबंध और संगठन को मजबूत करते हैं और सामूहिक रूप से सामाजिक संवाद को बढ़ावा देते हैं। इसके रूप में, सतुआन और जुड़ शीतल एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और सामाजिक आयोजन है जो लोगों को एक साथ लाता है और समृद्धि और सम्पत्ति की कामना के साथ नए समय की शुरुआत करता है। सतुआन पर्व, बैसाख माह के कृष्ण पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। इस दिन सूर्य भगवान अपनी उत्तरायण की आधी परिक्रमा को पूरी करते हैं। हर साल, यह पर्व 14 अप्रैल को मनाया जाता है और गर्मी के मौसम का स्वागत करता है।
सतुआन पर्व में सत्तू को प्रसाद के रूप में खाया जाता है, जिससे इसे यह नाम मिला है। सत्तू गर्मियों के मौसम में बहुत लाभदायक होता है। इसका सेवन करने से शरीर को ठंडा रखने में मदद मिलती है और लू के चपेट से भी बचाव होता है। सत्तू में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन्स, और मिनरल्स होते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। यह पेट को भरा-पूरा रखता है और लंबे समय तक भूख नहीं लगती।इसके अलावा, सत्तू में ग्लूटन की कमी होती है, जिससे यह विकारों को दूर रखने में मदद करता है। इसके साथ ही, यह पेट संबंधी समस्याओं जैसे कि आपच, गैस, और एसिडिटी को भी कम करता है। गर्मियों में सत्तू का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इसलिए, सतुआन पर्व के मौके पर इसे समर्पित किया जाता है, जो लोगों को स्वास्थ्यपूर्ण जीवन की ओर प्रोत्साहित करता है।
दक्षिण भारत में विषु कानी (Vishu Kani ) पर्व के रूप में मनाया जाता है, जो नव वर्ष का प्रतीक होता है। यह पर्व तमिलनाडु और कर्नाटक में बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। विषु कानी पर्व में, लोग कृषि खेतों में बुआई का उत्सव मनाते हैं। सुबह उठकर स्नान के बाद, श्रद्धालु सबसे पहले आस-पास के मंदिर में विष्णु देव के दर्शन करने जाते हैं। घरों में इस दिन नए अनाज से भोजन बनाया जाता है और विष्णु देव को 14 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है।
यह पर्व समृद्धि, सम्पत्ति, और खुशियों का प्रतीक है। लोग इसे खुशी और उत्साह के साथ मनाते हैं और एक नए साल की शुरुआत करते हैं। इस पर्व के माध्यम से, लोग अपने धार्मिक और सामाजिक मूल्यों को मजबूत करते हैं और सामूहिक रूप से खुशियों का आनंद लेते हैं। विषु कानी पर्व दक्षिण भारतीय समुदायों के लिए एक महत्वपूर्ण और प्रिय उत्सव है, जो उन्हें संबंध और सम्प्रेम के बांधनों को मजबूत करने का अवसर देता है।