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ऊ मुसहर हैं क्या, मांझी ने लालू को कहा गड़ेरिया, लालू का करारा जवाब

बिहार में जातीय राजनीति: मांझी और लालू के बीच तीखी बयानबाजी

Patna : बिहार की राजनीति में जाति का मुद्दा हमेशा से एक संवेदनशील और ज्वलंत विषय रहा है। समय-समय पर जातीय समीकरणों को लेकर बिहार की राजनीति में बड़े नेताओं के बीच तीखी बयानबाजी देखने को मिलती रही है। हाल ही में, हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बीच जातीय सवालों पर जमकर शब्दों के तीर चल रहे हैं। इस बार मांझी ने एक बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि लालू प्रसाद यादव यादव नहीं, बल्कि गड़ेरिया जाति के हैं, जिससे दोनों नेताओं के बीच विवाद और गहरा हो गया है।

मांझी का बयान
हाल ही में पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में जीतन राम मांझी ने लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव पर तीखा हमला करते हुए कहा, “वो लोग नहीं पढ़े हैं। मेरा बेटा पीएचडी है, नेट है और प्रोफेसर है। हम भी बीए ऑनर्स किए हैं। उनकी डिग्री क्या है वो बताएं?” मांझी ने तेजस्वी यादव द्वारा उन्हें “शर्मा” कहने पर भी नाराजगी जताई और कहा कि तेजस्वी पहले अपने पिता की जाति के बारे में बताएँ। मांझी ने दावा किया, “लालू यादव गड़ेरिया हैं, यादव नहीं।”

लालू का जवाब
मांझी के इन आरोपों का जवाब लालू प्रसाद यादव ने अपने खास अंदाज में दिया। जब पत्रकारों ने मांझी की टिप्पणी के बारे में लालू से सवाल किया, तो उन्होंने तीखा प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “ऊ मुसहर हैं क्या?” लालू का यह बयान मांझी को आक्रामक जवाब देने के रूप में देखा गया, जिसमें उन्होंने मांझी की जातीय पहचान को लेकर सवाल उठाया।

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मांझी का सोशल मीडिया पोस्ट
इससे पहले, 19 सितंबर को जीतन राम मांझी ने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर एक पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने विपक्षी दलों पर गंभीर आरोप लगाए थे। मांझी ने लिखा, “विपक्षी दलों के गुंडे हमारे घर और दरवाजों को तोड़ सकते हैं, पर हमारे लोगों का हौसला नहीं तोड़ सकते। घर जलाने वाले लोगों के संरक्षक लालू पाल (गरेड़ी) जी, आप राजनीति के लिए अपनी जाति छुपा सकते हैं, पर हम नहीं। हम गर्व से कहते हैं, हम मुसहर हैं।”

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मांझी ने लालू को चुनौती दी कि अगर उनमें हिम्मत है तो वे भी अपनी जाति का गर्व से ऐलान करें। मांझी ने लालू पर यह भी आरोप लगाया कि उनके समर्थक दलितों की जमीन और मुस्लिम समुदाय के कब्रिस्तानों पर कब्जा करते रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अब दलित और पिछड़ा वर्ग चुप नहीं रहेगा और इसका करारा जवाब दिया जाएगा।

तेजस्वी और मीसा भारती का पलटवार
मांझी के इन बयानों पर राजद नेता तेजस्वी यादव और उनकी बहन मीसा भारती ने तीखा पलटवार किया। तेजस्वी ने मांझी पर निशाना साधते हुए कहा कि मांझी और उनके बेटे RSS के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने मांझी की पढ़ाई-लिखाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि “वो सच जानना ही नहीं चाहते।” तेजस्वी ने मांझी को सलाह दी कि उन्हें जातिगत टिप्पणियों के बजाय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर वास्तविक मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करनी चाहिए।

मीसा भारती ने भी मांझी पर हमला करते हुए कहा कि मांझी और उनके बेटे RSS स्कूल के प्रशिक्षित लोग हैं, जो बिहार की वास्तविक समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए जातीय राजनीति का सहारा ले रहे हैं।

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जातीय राजनीति का असर
बिहार में जातीय राजनीति का इतिहास पुराना है, और यह मुद्दा यहां की राजनीति का अभिन्न अंग रहा है। लालू प्रसाद यादव ने जहां यादव और मुस्लिम वोट बैंक को अपने पक्ष में बनाए रखा है, वहीं जीतन राम मांझी ने मुसहर और दलित वर्गों के बीच अपनी पकड़ मजबूत की है। दोनों नेताओं के बीच हो रही यह बयानबाजी बिहार की जातिगत समीकरणों को और भी जटिल बना रही है।

बिहार में जातीय राजनीति का यह नया अध्याय जीतन राम मांझी और लालू प्रसाद यादव के बीच तीखे बयानों के रूप में सामने आया है। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की जातीय पहचान और शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाए हैं, जिससे यह विवाद और बढ़ता जा रहा है। ऐसे में बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण किस ओर जाते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।

 

Gaam Ghar Desk

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