Darbhanga: जय-राम शोध संस्थान ने कुशेश्वरस्थान के सुल्तानपुर गाँव में संत सद्गृहस्थ संत जगन्नाथ चौधरी की पुण्यतिथि का आयोजन किया। समारोह का उद्घाटन कार्यक्रम अध्यक्षता डॉ भीम झा, मुख्य अतिथि नरेश कुमार विकल, विशिष्ट अतिथि डॉ रमानंद झा रमण, डॉ महेंद्र नारायण राम, डॉ चंद्रमणि झा, सुरेंद्र शैल व दीप नारायण ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया । समारोह की शुरुआत “जय जय भैरव… भगवती वंदना” से हुई। अतिथियों को मिथिला की पारंपरिक माला, पगड़ी, और डोपटा से सम्मानित किया गया।
सर्वप्रथम, मुख्य अतिथि नरेश कुमार विकल, डॉ. रंगनाथ दिवाकर एवं अन्य अतिथि द्वारा पेड़ लगाई गई। इसके बाद, समाधि स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित की गई, उनकी प्रतिमा के ऊपर माल्यार्पण किया गया। उनकी पुण्य तिथि बुधवार को मनाई गई, डॉ भीम झा की अध्यक्षता में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। संत जगन्नाथ चौधरी जी के योगदान को समर्पित करते हुए, मिथिला के विद्वान ने उनके आदर्शों को याद किया।
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जय-राम शोध संस्थान कैसे बना
दरभंगा जिला के सुल्तानपुर गावं में 2018 में जय-राम शोध संस्थान स्थापित हुआ। यह संस्थान श्रद्धेय जय नारायण चौधरी और श्रद्धेय रामवती चौधरी के नाम के पहले अक्षरों से मिलकर बने शब्दों जय-राम है। इससे पहले, 2000 में उन्होंने एक पारिवारिक प्रकाशन, “मनोलिता प्रकाशन”, की स्थापना की थी।
सद्गृहस्थ संत जगन्नाथ चौधरी संत शोध संस्थान
पहले सत्र में इस वर्ष का ”सद्गृहस्थ संत जगन्नाथ चौधरी संत शोध सम्मान – 2024” मैथिली के प्रो. डॉ रामावतार यादव को दिया गया. इस सम्मान में उन्हें पाग-चादर, स्मृति चिन्ह, चांदी की कलम व 11 हजार रुपये प्रदान किये गये. जो नेपाल के है. जो तबियत ख़राब के कारण आने में असमर्थ थे.
वासुदेव गोविंद काव्य शिरोमणि सम्मान
पहले सत्र में इस वर्ष शुरू हुआ यह सम्मान ”वासुदेव गोविंद काव्य शिरोमणि सम्मान – 2024” शंकर मधुपांश को दिया गया. इस सम्मान में उन्हें पाग-चादर, स्मृति चिन्ह, चांदी की कलम व 51 सौ रुपये प्रदान किये गये.
पुस्तक विमोचन
दूसरे सत्र में पुस्तक विमोचन में साहित्यकार डॉ. रंगनाथ दिवाकर ने अपनी पुस्तक “मिथिला परिजात मंञ्जरी” को पेश किया। इस समारोह में डॉ. महेंद्र नारायण राम द्वारा लिखित लोक काव्य “कुसुम” और दीप नारायण द्वारा रचित “अभिज्ञाण महाप्रयाण” का लोकार्पण भी हुआ। यह आयोजन लोकसंस्कृति को बढ़ावा देने का प्रयास था।
मुख्य अतिथि का संबोधन
मुख्य अतिथि डॉ. नरेश कुमार ”विकल” ने समारोह में अपने संबोधन में कहा कि कुशेश्वरस्थान के बाढ़ से ग्रसित सुलतानपुर जैसे सुदूर इलाके में सद्गृहस्थ संत जगन्नाथ चौधरी जैसे संत प्रवृति की पुण्यतिथि का आयोजन बड़ी बात है. इस तरह के आयोजन से मिथिला की संस्कृति को विस्तार का अवसर प्राप्त होता है. मौके पर रमांद चौधरी, दिनेश नारायण चौधरी, श्यामनंद चौधरी, भगीरथ चौधरी, सोने लाल भगत, शशि कुमार दास, सत्येंद्र कुमार सुमन, युवा फिल्म निर्देशक सुमित सुमन, फिल्म एडिटर और निर्देशक एन मंडल, अमल कुमार, बम बम, मोहन झा, सौरभ चौधरी आदि मौजूद थे. इस समारोह से सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन में नया उत्साह और समृद्धि लायेगा।