कमलनयन श्रीवास्तव को “भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री सम्मान” से सम्मानित
पटना : पटना में लाल बहादुर शास्त्री विचार मंच द्वारा आयोजित 120वीं जयंती समारोह के अवसर पर समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए कमलनयन श्रीवास्तव (Kamalnayan Srivastava) को “भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री सम्मान” से सम्मानित किया गया। राजधानी के विद्यापति भवन में आयोजित इस समारोह में श्रीवास्तव को पटना उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति हेमंत कुमार श्रीवास्तव और अमरेश कुमार लाल ने मोमेंटो और शॉल भेंट कर यह सम्मान प्रदान किया। लाल बहादुर शास्त्री विचार मंच के अध्यक्ष अजय वर्मा द्वारा इस समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने भाग लिया।
सामाजिक और साहित्यिक योगदान
कमलनयन श्रीवास्तव ने अपने जीवनकाल में सामाजिक और साहित्यिक क्षेत्र में अनगिनत योगदान दिए हैं। वे नवशक्ति निकेतन, चेतना, गरिमा भारती, श्री चित्रगुप्त मंदिर प्रबंधक समिति, चित्रगुप्त सामाजिक संस्थान, शाद स्टडी सर्किल, अखिल भारतीय कायस्थ महासभा, और राष्ट्रीय कायस्थ महासभा परिषद जैसे संगठनों से जुड़े रहे हैं। इन संगठनों के माध्यम से उन्होंने कई साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया, जो समाज को एकजुट करने और प्रोत्साहित करने का कार्य करते रहे हैं।
श्रीवास्तव का योगदान केवल संगठनात्मक गतिविधियों तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने शाद साहब की मजार पर चारदपोशी के आयोजन, विभिन्न साहित्यकारों को सम्मानित करने और स्वर्गीय रामवतार खत्री की पुण्यतिथि पर भव्य समारोह का सफल आयोजन किया। उनके समर्पण और निस्वार्थ सेवा भाव ने समाज में उनकी एक प्रतिष्ठित और सम्मानित छवि बनाई है। श्रीवास्तव ने जीवनभर समाज के विभिन्न वर्गों की सेवा की और यह सुनिश्चित किया कि समाज का हर हिस्सा सहयोग और समर्थन से सशक्त हो।
समाज सेवा में निस्वार्थ योगदान
कमलनयन श्रीवास्तव का मानना है कि एक सशक्त समाज तभी बन सकता है जब उसके सभी सदस्य एक-दूसरे की मदद करें और साथ मिलकर आगे बढ़ें। उनके सामाजिक कार्यों का दायरा व्यापक है, जिसमें साहित्यिक आयोजनों से लेकर सामाजिक उपक्रमों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों तक का समर्पण शामिल है। उनके प्रयासों ने न केवल समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का काम किया, बल्कि उनकी सेवाओं ने कई अन्य लोगों को भी प्रेरित किया।
श्रीवास्तव का यह योगदान केवल वर्तमान पीढ़ी तक सीमित नहीं है, बल्कि उनकी सेवाओं से आने वाली पीढ़ियां भी प्रेरणा लेकर समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं। उनका समाज के प्रति यह निस्वार्थ सेवा भाव उन्हें एक प्रेरणास्रोत के रूप में स्थापित करता है।
शुरुआती जीवन और समाज सेवा की शुरुआत
कमलनयन श्रीवास्तव ने 1974 में स्वर्गीय जटाशंकर जी के मार्गदर्शन में चित्रगुप्त सामाजिक संस्थान से अपनी समाज सेवा की यात्रा शुरू की। उस समय उनके युवा मन में एक उम्मीद का दीपक जल रहा था, जिसने उन्हें 1974 के लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने की प्रेरणा दी। इस आंदोलन के दौरान उन्होंने समाज में न्याय, समानता और स्वतंत्रता के मूल्यों का प्रचार किया, जो उनके आगे के जीवन के सामाजिक कार्यों की नींव बने। श्रीवास्तव ने जीवनभर इन्हीं आदर्शों को अपना मार्गदर्शक मानते हुए समाज सेवा की।
समारोह में विशिष्ट उपस्थिति
इस महत्वपूर्ण अवसर पर कई विशिष्ट हस्तियों ने भाग लिया और कमलनयन श्रीवास्तव के योगदान की सराहना की। पटना उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति हेमंत कुमार श्रीवास्तव और अमरेश कुमार लाल ने उनके कार्यों को समाज के लिए प्रेरणादायक बताया। लाल बहादुर शास्त्री विचार मंच के अध्यक्ष अजय वर्मा ने श्रीवास्तव के समाज सेवा के प्रति समर्पण की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल हैं।
कमलनयन श्रीवास्तव का योगदान और उनके कार्य केवल समाज सेवा तक सीमित नहीं रहे, बल्कि वे साहित्य, संस्कृति और सामाजिक संगठनों के माध्यम से भी समाज के विकास और उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं। उनका जीवन समाज के प्रति समर्पण और निस्वार्थ सेवा का प्रतीक है।