परिवार नहीं देखा तुमने !
संसार नहीं देखा तुमने !!
हर घर की ख़ुशियाँ बनी रहें ,
घर बार नहीं देखा तुमने !
दिन रात सभी की सेवा में ,
तुम दयानिधे ही बने रहे !
नींदें त्यागी हर सुख त्यागा ,
सेवा पथ पर तुम
खड़े रहे !
जन जन को जीवन देने को ,
तुम मृत्यु द्वार पर अड़े रहे !
सर्दी हो गर्मी या बारिश ,
परहित में सब कुछ ही झेला !
सेवा में तत्पर सदा रहे ,
सावन भादों हो या मेला !
भगवान नहीं देखा हमने ,
देखा हमने तेरा खेला !
हे दयानिधे हे करुणाकर ,
तुम प्राणदाई परमेश्वर हो !
शत शत प्रणाम तुमको डाक्टर ,
तुम पूज्यनीय
नटनागर हो !
कविता सिंह “वफ़ा”
अमेरिका, न्यू जर्सी