जानिए White Paper क्या है और क्यों जारी होता है
2014 से पहले के आर्थिक हालातों की झलक के लिए श्वेत पत्र, White vs Black Paper: भाजपा का श्वेत पत्र बनाम कांग्रेस का ब्लैकपेपर
White Paper : आपको बता दे की हाल में पेश किए गए अपने अंतरिम बजट 2024 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यूपीए सरकार के दौरान लिए गए आर्थिक निर्णयों और देश पर उसके कारण पड़े दुष्प्रभाव के बारे में श्वेत पत्र जारी किया है। ऐन चुनावों के ठीक पहले के संसद सत्र में पेश सरकारी श्वेत पत्र ने एक तरह से सोनिया गांधी की अगुआई वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की मनमोहन सिंह सरकार की खामियों और आर्थिक कुप्रबंधन को ही उजागर किया है। चुनावों के ठीक पहले इसके उजागर होने के चलते एक तरह से कांग्रेस पर ही सवाल उठे हैं। कांग्रेस को लगता है कि इससे उसे लेकर वोटरों की धारणा में नकारात्मक बदलाव हो सकता है। श्वेत पत्र की शुरुआत कब हुई थी, इस पत्र का मतलब क्या है और इसका इस्तेमाल किस काम के लिए किया जाता है? अगर आपको नहीं पता तो यहां जानिए…
आपको बता दे की संसद के मौजूदा बजट सत्र के दौरान सरकार संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) शासन के कालखंड में हुए आर्थिक कुप्रबंधन पर श्वेत पत्र जारी किया गया था। इस श्वेतपत्र में सरकार देश की अर्थव्यवस्था पर 2014 से पहले लिए गए आर्थिक निर्णयों से पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों के बारे में विस्तार बताया गया है। केंद्र सरकार यह श्वेत पत्र बजट सत्र 2024 के समापन के एक दिन पहले पेश किया है।
श्वेत पत्र पहली बार 1922 में ब्रिटिश सरकार लेकर आई थी। हालांकि वह भी भारत से जुड़े मसले पर ही केंद्रित था। तब ब्रिटिश सरकार ने 1919 में भारत आए साइमन कमीशन की सिफारिशों के आधार पर भारत में पहला ‘संवैधानिक सुधार’ लाने की तैयारी की थी। पहला श्वेत पत्र इसी पर केंद्रित था। जिसे ब्रिटिश संसद की संयुक्त चयन समिति के सामने विचार के लिए पेश किया गया था। इसी श्वेत पत्र में भारत में संघीय सरकार प्रणाली की स्थापना का प्रावधान शामिल था।
श्वेत पत्र की राजनीति पर चर्चा से पहले हमें जानना चाहिए कि इसके जरिए संयुक्त प्रगतिशील सरकार के दौरान हुई किन गड़बड़ियों को उजागर किया गया है। 59 पृष्ठों के इस श्वेत पत्र में कहा गया है कि तब भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की पांच बदतर अर्थव्यवस्थाओं में शामिल थी। अंग्रेजी की एक शब्दावली ‘फ्रेजाइल फाइव’ भारत के आर्थिक कुप्रबंधन का प्रतीक बन गई थी। उसी दौरान देश में बारह दिनों का राष्ट्रमंडल खेल आयोजित हुआ, जिसमें घोटालों की भरमार रही।
वित्त मंत्री ने बजट भाषण में श्वेत पत्र के बारे में क्या कहा?
हाल में पेश किए गए अपने अंतरिम बजट 2024 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यूपीए सरकार के दौरान लिए गए आर्थिक निर्णयों और देश पर उसके कारण पड़े दुष्प्रभाव के बारे में श्वेत पत्र लाने का एलान किया था। अपने अंतरिम बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा कहा था कि वर्ष 2014 में जब हमारी सरकार ने बागडोर संभाली थी, उस समय चरण-दर-चरण अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने और शासन प्रणाली को सही रास्ते पर लाने की जिम्मेदारी बहुत बड़ी थी। समय की मांग थी कि लोगों को आशा की किरणें दिखे, निवेश आकर्षित किया जा सके और सुधार के लिए अत्यावश्यक समर्थन जुटाया जा सके। सरकार ने ‘राष्ट्र प्रथम’ के मजबूत विश्वास के साथ इसे सफलतापूर्वक हासिल किया। विडियो देखें…
श्वेतपत्र पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सदस्य मनीष तिवारी ने क्या कहा:
श्वेतपत्र पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने केंद्र सरकार के इरादों पर सवाल उठाया। बहस में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस सदस्य मनीष तिवारी ने कहा, लोकसभा चुनाव से पहले आए श्वेतपत्र की टाइमिंग से साफ है कि यह एक ‘राजनीतिक घोषणापत्र’ है। लेकिन बता दूं कि यूपीए ने सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, भोजन का अधिकार और मनरेगा जैसे अधिनियम बनाए। जिनसे देश की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक नींव को मजबूत किया। तिवारी ने कहा, अगर सरकार की मंशा साफ है तो उसे 2014 में श्वेतपत्र लाना चाहिए था। यूपीए सरकार की पहल के कारण 130 करोड़ लोगों को सूचना का अधिकार मिला। दुर्भाग्य से, 2014 से 2024 तक, आरटीआई को खत्म कर दिया गया है। हमारी दूसरी उपलब्धि मनरेगा है। 2005 में जब यह आया था तब से 100 दिन का प्रावधान है। मैं पूछता हूं आप इसे 101 दिन भी नहीं कर पाए। कांग्रेस के ही अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि श्वेतपत्र मनगढ़ंत बातों और झूठ का पहाड़ है। इसे पेश करने का उद्देश्य सिर्फ चुनावी फायदा कमाना है। उन्होंने कहा, भाजपा विनियोग, भ्रष्टाचार और आत्ममुग्धता की राजनीति में लिप्त है। सरकार को यह नहीं भूलना चाहिए कि ‘रोम एक दिन में नहीं बना था।’ सत्ता पक्ष इतिहास को नजरअंदाज न करे। तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने कहा, वित्त मंत्री को सबसे पहले नोटबंदी के लिए ‘माफी’ मांगनी चाहिए। रॉय ने कहा कि खुद को भ्रष्टाचार के खिलाफ बताने वाली सरकार से मैं पूछता हूं कि नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या कहां हैं। विडियो देखें…
सरकार की ओर से जारी श्वेत पत्र से क्या पता चला?
केन्द्रीय वित्त मंत्री ने तब की और अब की अर्थव्यवस्था पर बात करते हुए कहा कि उन वर्षों के संकटों से पार पा लिया गया है और हमारी अर्थव्यवस्था सर्वांगीण विकास के साथ उच्च टिकाऊ विकास की राह पर बढ़ चली है। उन्होंने घोषणा की कि सरकार अर्थव्यवस्था पर सदन के पटल पर श्वेत पत्र लेकर आई है, ताकि ये पता चल सके कि वर्ष 2014 तक हम कहां थे और अब कहां हैं। उन्होंने कहा कि श्वेत पत्र का मकसद उन वर्षों के कुप्रबंधन से सबक सीखना है।
क्या होता है श्वेत पत्र?
श्वेत पत्र की शुरुआत 102 साल पहले वर्ष 1922 में ब्रिटेन में हुई थी। यह किसी विषय के बारे में ज्ञात जानकारी या एक सर्वेक्षण/अध्ययन के परिणाम का सारांश होता है। एक श्वेत पत्र किसी भी विषय के बारे में हो सकता है, लेकिन यह हमेशा चीजों के काम करने के तरीके को बेहतर बनाने के लिए सुझाव देता है। यह आमतौर पर सरकार द्वारा अनुवर्ती कार्रवाई या कम से कम एक निष्कर्ष के लिए प्रकाशित किया जाता है। एक श्वेत पत्र एक सरकार, कंपनी या गैर-लाभकारी संगठन द्वारा जारी एक सूचनात्मक दस्तावेज है जो किसी समाधान, उत्पाद या सेवा की विशेषताओं को बढ़ावा देने या उजागर करने के लिए जारी किया जाता है। श्वेत पत्रों का उपयोग सरकारी नीतियों और कानून को प्रस्तुत करने और जनता की राय का आकलन करने की एक विधि के रूप में भी किया जाता है।
कौन जारी कर सकता है श्वेत पत्र?
सरकार के अलावा किसी भी संस्था, कंपनी, ऑर्गेनाइजेशन द्वारा श्वेत पत्र जारी किया जा सकता है। जिसमें वह अपने ग्राहकों, कर्मचारियों या जनता को अपने उत्पादों की विस्तृत जानकारी प्रदान कर सकती है। इसके अलावा कई संस्था अपने द्वारा शुरू की गई तकनीक का प्रचार-प्रसार करने के लिए भी श्वेत पत्र करती है ताकि वह आम लोगों तक पहुंच सके।
एक श्वेत पत्र में क्या-क्या होता है?
आर्थिक मामलों से जुड़े श्वेत पत्र में सरकार या किसी संस्था की कमियों, उससे होने वाले दुष्परिणामों और सुधार करने के लिए सुझावों जैसे विषय होते हैं। वहीं उत्पादन/तकनीक से जुड़े श्वेत पत्र में उस उत्पादन/तकनीक से जुड़ी विभिन्न जानकारियां शामिल होती हैं। उदाहरण के तौर पर उस तकनीक की वजह से मिलने वाली सुविधाएं, उसका उपयोग करने का तरीका और आवश्यक वातावरण, अन्य तकनीक से यह कैसे भिन्न है, इसकी कीमत आदि जानकारियां शामिल होती हैं।